चंडीगढ़, 6 जुलाई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ट्रस्टों / निजी संस्थानों को सामाजिक या धार्मिक/ धर्मार्थ उद्देश्य के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग की भूमि के आबंटन हेतु नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
राज्य सरकार और शहरी स्थानीय निकाय विभाग को प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सामुदायिक उद्देश्यों के लिए शहरी स्थानीय निकाय भूमि के आबंटन हेतु विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सामुदायिक समूहों व धर्मार्थ संस्थानों से आवेदन / प्रतिवेदन प्राप्त हो रहे थे।
मुंख्यमंत्री द्वारा विभिन्न विभागों, बोर्डों, प्राधिकरणों, पालिकाओं आदि की भूमि सार्वजनिक, वाणिज्यिक व सामाजिक उद्देश्यों के लिए केंद्र, राज्य सरकार, अर्ध-सरकारी विभाग, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य एजेंसियों को बेचने या पट्टïे पर देने के संबंध में सभी प्रासंगिक अधिनियमों के सभी प्रावधानों, नियमों, नीतियों, दिशा-निर्देशों का अध्ययन करने तथा इसमें एकरूपता लाने के लिए एक प्रारूप प्रस्ताव तैयार करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था।
विस्तृत परिचर्चा के बाद कमेटी द्वारा व्यापक मानकों के दृष्टिïगत सभी विभागों के लिए राजस्व विभाग द्वारा इस संबंध में एक पारदर्शी समान नीति बनाने की सिफारिश की गई थी। राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचित नीति के अनुसरण में, शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा यह नीति तैयार की गई है। इसके अलावा, पिछले लगभग 10 वर्षों से अधिक समय से समाज के विभिन्न वर्गों से प्रदेश में बेसहारा पशुओं, जोकि शहरों व कस्बों तथा राजमार्गों पर दुर्घटनाओं का मुख्य कारण रहे हैं, को रखने के लिए उचित प्रबंध करने की मांग निरंतर की जा रही थी।
नई नीति के अनुसार पूजा स्थल, सामुदायिक केंद्र, धर्मशाला, जंजघर, बारातघर आदि के लिए संबंधित शहरी स्थानीय निकाय की 3 हजार वर्ग मीटर तक भूमि दी जा सकेगी। इसके तहत, 2 हजार वर्ग मीटर तक बिक्री की अंतरिम दर कलेक्टर रेट का 50 प्रतिशत, क्षेत्र के विकास की आनुपातिक लागत और इस पर अन्य आकस्मिक शुल्क लगाया जाएगा। इसी तरह, 2001-3000 वर्ग मीटर तक, कलेक्टर रेट का 100 प्रतिशत, क्षेत्र के विकास की आनुपातिक लागत और इस पर अन्य आकस्मिक शुल्क लगाया जाएगा।
शहरी स्थानीय निकायों की 5 एकड़ तक भूमि गौशालाओं, बेसहारा पशु प्रबंधन केंद्र व नंदीशाला के लिए आवंटित की जा सकेगी और किसी परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए, बिक्री की अंतरिम दर कलेक्टर रेट का 50 प्रतिशत, क्षेत्र के विकास की आनुपातिक लागत और इस पर अन्य आकस्मिक शुल्क लगाया जाएगा।