शुक्रवार, October 16, 2020

चंडीगढ़ 16 अक्तूबर - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा में जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन)प्राधिकरण विधेयक,2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गई। अब तक भू जल का विनियमन केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत किया जा रहा था। बहरहाल, भारत के संविधान के शेडयूल-ङ्कढ्ढढ्ढ की सूची-ढ्ढढ्ढ में प्रविष्टिï 17 यह प्रावधान करती है कि जल आपूर्ति सिंचाई एवं नहरें ड्रेनेज एवं तटबंध जलभण्डारण एवं पनबिजली राज्य का विषय हैं। इस लिए यह विधेयक लाया गया है।

यह विधेयक राज्य में सतही जल, भूजल और संशोधित व्यर्थ पानी सहित जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करने के उद्देश्य से बनाया गया है जिसका अधिकार क्षेत्र समस्त राज्य होगा।

राज्य में किसी भी प्रभावी कानून के अभाव में पानी के अनियंत्रित और तेजी से उपयोग के कारण कई क्षेत्रों में सतही जल की कमी के साथ भूजल स्तर में गिरावट की खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है। भविष्य में गंभीर जल संकट और पानी के अत्यधिक दोहन की स्थिति से निपटने के लिए राज्य में पानी की सुरक्षा, संरक्षण, नियंत्रण एवं उपयोग को नियमित करने के लिए एक उचित कानून बनाने की अत्यधिक आवश्यकता है ताकि राज्य में विशेष रूप से तनावग्रस्त क्षेत्रों में मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों प्रकार से स्थायी रूप में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो।

प्राधिकरण का गठन किया जाएगा और इसमें मसौदा विधेयक की धारा 5 के तहत गठित चयन समिति द्वारा नियुक्त अध्यक्ष सहित पांच सदस्य शामिल होंगे।

प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा और प्राधिकरण के पास मसौदा विधेयक की धारा 8 के तहत नियुक्त किया जाने वाला अपना स्वयं का स्टाफ होगा। इसके अतिरिक्त, विधेयक की धारा 12 के तहत प्राधिकरण को शक्तियां एवं कार्य प्रदान किए गए हैं।

प्राधिकरण के पास सिविल कोर्ट की शक्तियां भी होंगी और प्राधिकरण के आदेशों या निर्देशों का पालन न करना धारा 22 के तहत दंडनीय होगा। विधेयक की धारा 25 के तहत अनधिकृत कृत्यों के लिए दंड के साथ-साथ धारा 26 के तहत जुर्माने का भी प्रावधान है।

विधेयक कुछ प्रावधानों पर नियम बनाने के लिए सरकार को अधिकार देता है और साथ ही धारा 30 और 31 के तहत नियम बनाने के लिए प्राधिकरण को अधिकार देता है। प्राधिकरण अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा और प्राधिकरण की निधि महालेखाकार, हरियाणा द्वारा लेखा परीक्षण के अधीन होगी।

धारा 3(4) के तहत प्राधिकरण में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होंगे जिन्हें चयन की समिति की सिफारिश पर योग्यता अनुसार नियुक्त किया जाएगा।

धारा 5 के तहत चयन समिति का गठन किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे और सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रशासनिक सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे। इसके अतिरिक्त, जल संसाधनों के प्रबंधन या जल संसाधनों से संबंधित विज्ञान, प्रौद्योगिकी या इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में ज्ञान रखने वाले इसके दो अन्य सदस्य होंगे।

प्राधिकरण द्वारा हर तीन वर्ष बाद प्रत्येक जिला के लिए तैयार जल योजनाओं के आधार पर एक एकीकृत राज्य जल योजना तैयार की जाएगी। प्राधिकरण धारा 16 के तहत अनुमति देने या इस अधिनियम के किसी भी अन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगा और उसे सरकार से अनुमोदित करवाएगा। बड़ी संख्या में उद्योगों को भूजल दोहन की वर्तमान अनुमति को जारी रखने के लिए केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था और एनजीटी द्वारा ऐसे उद्योगों पर जुर्माने लगाए गए हैं। यह विधेयक ऐसे मामलों में शीघ्र स्वीकृतियां प्राप्त करने में मदद करेगा।