चंडीगढ़, 8 मई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा है कि प्रदेश के सभी निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को प्रदेश की सभी गौशालाओं में आश्रय प्रदान करने के उद्देश्य से शीघ्र ही प्रदेश के सभी खंडों में 225 पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज यहां वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित उपायुक्तों, प्रदेश के पशुपालन विभाग के सभी उप-निदेशकों, गौ-रक्षक समितियों के प्रतिनिधियों तथा गौ सेवकों के साथ बैठक कर रहे थे। इस अवसर पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री जे.पी.दलाल और गीता मनीषी श्री ज्ञानानंद महाराज ने भी बैठक में भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राय: यह देखने में आया है कि सभी गौशालाएं गायों को रखने के लिए तैयार हो जाती हैं परंतु नंदियों को रखने के लिए कोई तैयार नहीं होता। उन्होंने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सदस्यों वाली इन खंड स्तरीय समितियों की अध्यक्षता वेटरनरी सर्जन करेंगे और इसके अन्य सदस्यों में गौ-सेवा आयोग के प्रतिनिधि, क्षेत्र की प्रमुख गौशाला के संचालक और जिला उपायुक्त के स्तर पर दो समाजसेवी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर इन समितियों की निगरानी पशुपालन विभाग के उप-निदेशक करेंगे। और उन्हें सदस्यों की संख्या पांच से छ: करने का भी अधिकार होगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में उपस्थित उपायुक्तों, प्रदेश के पशुपालन विभाग के सभी उप-निदेशकों, गौ-रक्षक समितियों के प्रतिनिधियों तथा गौ सेवकों से बातचीत में गौशालाओं में पशुधन की संख्या व निराश्रय गौधन व नंदियों की संख्या के बारे में जानकारी भी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में निराश्रय पशुओं की संख्या, विशेषकर गाय और नंदी काफी संख्या में है, जो सडक़ों पर घूमते हैं और चारे के आभाव में पॉलीथिन व अन्य अपशिष्ट पदार्थ खाकर बीमार हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह खेतों में घूमकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और इनकी वजह से अक्सर सडक़ों पर दुर्घटनाएं भी होती हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 600 गौशालाएं हैं। मुख्यमंत्री ने गौ-रक्षक समितियों के प्रतिनिधियों व गौ सेवकों से आग्रह किया कि इन गौशालाओं में निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए सरकार के मार्गदर्शन में सुचारू रूप से व्यवस्था बनाने में अपना सहयोग दें। उन्होंने कहा कि सरकार स्वयं गौशाला नहीं चलाएगी बल्कि गौशालाओं का संचालन करने वालों को अनुदान प्रदान करेगी और अपनी तरफ से हर संभव सहायता प्रदान करेगी तथा इसी उद्देश्य के चलते पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जा रहा है।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि इस कार्य के लिए सरकार द्वारा सभी गौशालाओं को अनुदान राशि प्रदान की जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुदान की राशि उपयोगी और अनुपयोगी पशुओं के अनुपात के अनुसार ही प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार 33 प्रतिशत से कम अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को कोई सरकारी अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा। 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 200 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा। 76 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 300 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा शत-प्रतिशत यानि 100 प्रतिशत अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 400 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल नंदियों को ही रखने वाली गौशालाओं/नंदी शालाओं को प्रति वर्ष 500 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नंदी और अनुपयोगी गायों को सम्मलित रूप से रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 400 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पशुधन सर्वेक्षण समितियों का पहला कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में गौशालाओं, गौशालाओं से बाहर निजी तौर पर अपने-अपने घरों में रखे जाने वाले गौधन, विशेषकर गायों और नंदियों की संख्या की गणना तथा उपयोगी व अनुपयोगी मापदंडों को तय करना, गौशालाओं के लिए जमीन की आवश्कता की संभावनाएं तलाशना होगा। उन्होंने कहा कि चारे के लिए गौशालाएं पट्टे पर ग्राम पंचायतों की गौ-चरण भूमि का उपयोग कर सकती हैं, यदि गौशाला उसी ग्राम पंचायत की है तो 5000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष और दूसरी ग्राम पंचायत की है तो 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से देनी होगी। उन्होंने कहा कि जरूरत पडऩे पर शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकाय विभाग शहर के बाहरी क्षेत्र में तथा पंचायत विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं के लिए जमीन उपलब्ध करवाएगा।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि सभी उपयोगी व अनुपयोगी गौधन की अलग-अलग रंग से टैगिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह उपयोगी व अनुपयोगी की श्रेणी समय के साथ परिवर्तित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सभी वेटरनरी सर्जन सांझा सेवा केन्द्रों के माध्यम से गौधन का डाटा जुटाकर ऑनलाइन अपडेट करेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे कोई गौशाला सरकारी अनुदान ले अथवा न ले, सभी को पशुपालन विभाग के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, पशुपालन एवं डेरी विभाग के प्रधान सचिव श्री राजा शेखर वुंडरू, विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर राजपाल, पशुपालन एवं डेरी विभाग के महानिदेशक डॉ० ओ.पी.छिक्कारा के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।