चंडीगढ़, 22 मई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा है कि हरियाणा राज्य की उन्नति व विकास में प्रवासी श्रमिकों का उल्लेखनीय योगदान है इसलिए कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते राज्य सरकार द्वारा इच्छुक प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए रोजाना विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों को प्रदेश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से चलाया जा रहा है और इसी श्रृंखला में आज हरियाणा से चार विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों को भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि आज अंबाला से एक रेलगाड़ी के माध्यम से लगभग 1600 प्रवासी श्रमिकों को कटिहार (बिहार), भिवानी से 1460 से अधिक प्रवासी श्रमिकों को कटिहार (बिहार), पानीपत से 1400 प्रवासी श्रमिकों को मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार) तथा गुरूग्राम से लगभग 1400 प्रवासी श्रमिकों को दीमापुर (नागालैण्ड) भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि विविधताओं के बावजूद हम सब देशवासी एक हैं और इसी भावना व सोच के साथ हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन में फंसे और अपने घर जाने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों को हरियाणा सरकार के खर्च पर उनके गृह राज्यों में भिजवाने की शुरूआत की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी भाग में रहने वाले सभी भारतीय एक हैं और इनकी दुख-तकलीफ को दूर करना हम सब भारतीयों का दायित्व है।
--अंबाला से कटिहार (बिहार) के लिए रवाना हुई विशेष श्रमिक रेलगाड़ी--
प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजने की श्रृंखला में आज लगभग 1600 प्रवासी श्रमिकों को लेकर विशेष ट्रेन अंबाला से कटिहार के लिए रवाना की गई। अम्बाला छावनी से कटिहार के लिए ट्रेन करीब 2 बजे रवाना हुई। इस ट्रेन में कटिहार जिले के साथ-साथ अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, माधोपुर, सहरसा व सुपौल के श्रमिक शामिल हैं। इन प्रवासी श्रमिकों में अम्बाला जिलें के 875, पंचकूला जिला के 92, यमुनानगर से 450, कुरुक्षेत्र से 180 प्रवासी शामिल हैं। इस रेलगाड़ी में प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ बच्चे भी थे। राज्य सरकार की ओर से प्रवासी श्रमिकों को फूड पेकैट, पानी की बोतल, मास्क व सैनिटाईजर भी उपलब्ध करवाया गया।
--भिवानी से कटिहार (बिहार) के लिए रवाना हुई विशेष श्रमिक रेलगाड़ी--
भिवानी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक से श्रमिक स्पेशल ट्रेन बिहार के कटिहार के लिए रवाना हुई। रेलगाड़ी में लगभग भिवानी से 750, चरखी दादरी से 250, हिसार से 318 और हांसी से 148 प्रवासी श्रमिक सवार हुए। यह रेलगाड़ी करीब 1408 किलोमीटर की दूरी तक करके 22 घंटे में बिहार के कटिहार पहुंचेगी।
--पानीपत से मुजफरपुर (बिहार) के लिए रवाना हुई विशेष श्रमिक रेलगाड़ी--
आज पानीपत जंक्शन से विशेष श्रमिक ट्रेन को मुजफरपुर के लिए रवाना किया गया है। इस विशेष श्रमिक ट्रेन में 1400 श्रमिक मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, दरभंगा, पश्चिमी चम्पारन, पूर्वी चम्पारन, मधुबनी, शिवहर और सीतागढ़ के लिए रवाना किए गए। इस ट्रेन में 631 श्रमिक समालखा से और 769 श्रमिक पानीपत से भेजे गए हैं।
--गुरूग्राम से दीमापुर (नागालैण्ड) के लिए रवाना हुई विशेष श्रमिक रेलगाड़ी--
गुरूग्राम रेलवे स्टेशन से आज देश के उत्तरपूर्वी राज्यों को विशेष ट्रेन भेजनी शुरू की गई है और इस कड़ी में पहली ट्रेन गुरूग्राम से गुवाहाटी-दीमापुर के लिए रवाना हुई जिसमें 1400 प्रवासी श्रमिक अपने घरों के लिए रवाना हुए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा उत्तरपूर्वी राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को लाॅकडाउन में घर पहुंचाने के लिए की गई रेल व्यवस्था से यात्री काफी खुश थे। सभी प्रवासी नागरिकों की सकुशल घर वापसी की कामना करते हुए उन्हें वहां जाकर भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने के लिए प्रेरित किया गया।
--श्रमिकों को मुहैया करवाई गई सुविधाएं—
प्रवासी मजदूरों को शैल्टर होम से रोडवेज की बसों के माध्यम से रेलवे स्टेशन तक लाया गया। प्रवासी मजदूरों को उनके गृह प्रदेश रवाना करने से पूर्व सभी जरूरी इंतजाम किए गए। जहां एक तरफ रेलवे प्लेटफार्म को वैक्यूम क्लीनर मशीन से बार-बार साफ किया जा रहा था, तो वहीं दूसरी ओर प्रत्येक प्रवासी श्रमिक के हाथों को भी सैनिटाइज किया गया तथा उनके लिए भोजन व पीने के पानी की व्यवस्था भी की गई। इन प्रवासी श्रमिकों को निशुल्क ट्रेन की टिकट के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई है, ताकि रास्तें में प्रवासी श्रमिकों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। ट्रेन की प्रत्येक बोगी में प्रवासी श्रमिक सामाजिक दूरी के साथ बिठाए गए थे।
--श्रमिकों की आंखों में थी खुशी की चमक—
अम्बाला में राज्य सरकार की देखरेख से खुश नजर आए एक श्रमिक पवन ने बताया कि मैं तो पहली बार अम्बाला आया था, किसी फैक्ट्री में काम करता था। मुझे नहीं पता था कि कोरोना के कारण वापिस जाना पड़ेगा, लेकिन राज्य सरकार के अधिकारियों ने श्रमिकों का पूरा ख्याल रखा, हमें किसी प्रकार से तंग नहीं होने दिया। बातचीत के दौरान पवन ने कहा कि जब लॉक डाउन खुल जाएगा, मैं दोबारा अपने साथियों के साथ अम्बाला जरूर आना चाहूंगा। अम्बाला एक अच्छा इलाका है, यहां के लोग अच्छे हैं।
--जय हो हरियाणा सरकार, हम पहुंचेगे अपने घर बिहार—
भिवानी से रवाना हुई स्पेशल श्रमिक ट्रेन में सवार होने के दौरान प्रवासी श्रमिक खिले-खिले से नजर आए। उनके चेहरों पर खुशी साफ तौर पर झलक रही थी। ट्रेन में सवार होने के दौरान मधेपुरा निवासी कंचन ने बताया कि वे अपने पति मुकेश के साथ बैंक कॉलोनी में रह रहीं थी। वे यहां पर एक फैक्ट्री में काम कर रहे थे, लेकिन लॉक डाउन होने के कारण वे अपने घर जा रहे हैं। इसके लिए हरियाणा सरकार का लाख-लाख शुक्र है। पूर्णिया निवासी रिंकू देवी ने बताया कि वे दादरी क्षेत्र में काम करते थे। वे अब मजबूरी में ही घर जा रहे हैं और उनका किराया भी नहीं लगा है। इसी प्रकार, सुपौल निवासी रूकमणी ने कहा कि सरकार की जितनी तारीफ करें, कम है साहेब। अपने बच्चों के पेट पालने के लिए यहां आए थे, यहां सब सही चल रहा था। लॉक डाउन नहीं लगता तो वे यहां से नहीं जाते।
पानीपत से रवाना हुई रेलगाड़ी में सवार होने के दौरान गोपालगंज जाने वाले निरंजन, राजेश पासवान ने बताया कि वे पानीपत में पेंटिंग का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद वे वापिस आएंगे। इसी तरह, दरभंगा जाने वाले पप्पू पासवान ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते वे अपने घर जा रहे हैं, वे यहां टैंट की दुकान पर काम करते थे और दोबारा काम शुरू होने पर वापिस आएंगे। उन्होंने केन्द्र व प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दिए गए सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके सहयोग को वे हमेशा याद रखेंगे। सरकार ने जिस लग्र के साथ उनकी घर जाने की यह मंशा पूरी की है, वे सरकार का धन्यवाद करते हैं।
गुरूग्राम रेलवे स्टेशन पर रवाना होने वाली रेलगाड़ी के माध्यम से असम जा रहे 40 वर्षीय गोपाल ने अपने भाव प्रकट करते हुए कहा कि हरियाणा ने उन्हें रोजगार दिया और स्थिति सामान्य होने के बाद वे दोबारा यहां आएंगे क्योंकि यहां रोजगार बहुत है और काम करके इतना पैसा जुटा लेते हैं जिससे अपना खर्च निकालकर घर पर भी पैसा भेज पाते हैं। नागालैंड जा रहे 22 वर्षीय एक प्रवासी श्रमिक तितुजो ने तो यहां तक कहा कि हरियाणा का गुरूग्राम शहर मुंबई की तरह सपने पूरे करने वाला शहर है, केवल व्यक्ति की काम करने की इच्छा होनी चाहिए। तितुजो ने बताया कि लाॅकडाउन से पहले स्थिति यह थी कि मुंबई की तरह गुरूग्राम भी कभी सोता नहीं था, यहां 24 घंटे काम चलता था।