चंडीगढ़, 12 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने प्रदेश में अंतर जिला परिषद का गठन कर प्रजातांत्रिक प्रणाली को जमीनी स्तर पर और अधिक सुदृढ़ करने के लिए पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की शक्तियों का विकेन्द्रीकरण कर विकास की योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक सुचारू रूप से पहुंचाने के लिए एक संस्थागत प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने के बाद आज जिला परिषदों को और अधिक शक्तियां प्रदान करने की घोषणा की ताकि विकास प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की जा सके।
श्री मनोहर लाल आज पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह में अंतर जिला परिषद (ग्रामीण) की दूसरी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने जिला परिषदों को और अधिक सशक्त करने के लिए शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने की घोषणा की, इनमें पर्यावरण विभाग की स्कूलों में ईको क्लब, शिक्षा विभाग की स्वर्ण जयंती सांस्कृतिक कार्यक्रम, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े कल्याण विभाग की समरसता पर सेमिनार व डिबेट करवाने की योजना, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की गांव में बायो गैस प्लांट स्थापित करना, प्राथमिक विद्यालयों के भवनों का रखरखाव का कार्य, कृषि विभाग की फसल विविधिकरण योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई व धान के स्थान पर कम पानी वाली फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित करने की योजना तथा डा0 बीआर अम्बेडकर हाउसिंग नवीनीकरण योजना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीआरआईज को पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा व स्वच्छता में सुधार की योजनाओं पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। अपने क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए। राज्य सरकार ने हरियाणा तालाब प्रधिकरण का गठन भी किया है, जिसके तहत प्रदेश के 14,000 तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा। इसमें स्थानीय जन प्रतिनिधियों की भागीदारी अधिक से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिला परिषदों को आंगनवाड़ी व उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की कार्यप्रणाली की निगरानी के लिए एक स्पेशल विंग गठित करने के निर्देश दिए, जो सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित करेगी।
हरियाणा ने पढ़ी-लिखी पंचायतें देकर देश के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करने के बाद पिछले दो वर्षों से अंतर्राजीय परिषद की तर्ज पर अंतर जिला परिषद का गठन करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला परिषदों को औसतन 20 से 25 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आबंटित किया जाएगा। मुख्यमंत्री द्वारा जिला परिषदों को आउट सोर्सिंग पोलिसी के तहत व प्रतिनियुक्ति के आधार पर इंजीनियरिंग, सामाजिक क्षेत्र, लेखाकार व अन्य विशेषज्ञों के 9 श्रेणियों के पद भरने की अनुमति भी दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का बजट पास होने के बाद जिला परिषद अपन बजट हाउस में पारित कर सरकार को भेजें, ताकि उसे सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि गत वर्ष जिला परिषदों को 184 करोड़ रुपये का बजट आबंटित किया गया था। चालू वित्त वर्ष के दौरान 74.44 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं तथा 39.58 करोड़ रुपये की राशि एक सप्ताह के अन्दर जारी कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने और भष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जिला परिषदों को ई-टेंडरिंग प्रणाली के माध्यम से विकास कार्य आबंटित करने चाहिएं।
उन्होंने कहा कि हम ई-पंचायत अवधारणा लागू करने की दिशा में बढ़ते हुए शीघ्र ही एक वेबसाइट लॉन्च की जाएगी, जिस पर प्रदेश के हर गांव की जानकारी, जैसे गांव का नक्श और उसकी जनसंख्या उपलब्ध होगी। इसके अलावा, इस वेबसाइट पर ग्रामीण अपने सुझाव और शिकायतें भी अपलोड कर सकेंगे और संबंधित विभागों द्वारा सुझाव और शिकायतें के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 27 विभागों की योजनाएं पंचायती राज संस्थानों को स्थानांतरित की जा सकती हैं, इसकी रूप रेखा तैयार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं को सोशल ऑडिट सिस्टम में भी शामिल किया जाएगा ताकि सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर करवाए जा रहे कार्यों की प्रभावी निगरानी की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायती राज संस्थानों के जन प्रतिनिधि को जनहित के कार्यों में स्वेच्छा से जुडऩे वाले लोगों को प्रेरित करना चाहिए।
बैठक में उप-मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास विकास एवं पंचायत का कार्यभार भी है, ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्थानीय स्तर पर अपनी आय के संसाधन बढ़ाने की योजना जिला परिषदों को तैयार करनी चाहिए। हर छ: महीने में दो दिन का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और उसमें सभी सदस्यों से सुझाव आमंत्रित कर विकास कार्यों की रूपरेखा तैयार कर बजट बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नये विजन के साथ योजनाएं तैयार करने की जिम्मेवारी जिला परिषदों की बनती है।
श्री दुष्यंत चौटाला ने इंद्री खण्ड के खुर्दबन गांव के सरपंच, जिन्होंने अपने गांव में आंगनवाड़ी केन्द्र में प्ले स्कूल का मॉडल पेश किया है, उसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि भविष्य में आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्ले स्कूल खोले जाएंगे, जिसके लिए इस सरपंच को रॉल मॉडल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज से पहले पंचायती राज की शक्तियां राज्य सरकार के पास रहती थी परंतु आज हमने कुछ विभागों के कार्य लोकतंत्र की छोटी सरकारों को सौंपे।
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद ने अपने स्वागतीय भाषण में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि अन्तर जिला परिषद की पहली बैठक 30 अगस्त, 2018 को हुई थी, उसके बाद उस बैठक में लिए गये निर्णयों की समीक्षा के लिए 3 जनवरी, 2019 व 14 जून, 2019 को बैठकें की गई थी। तदानुपरांत आज यह बैठक बुलाई गई है। उन्होने पंचायती राज संस्थानों को दिए जाने वाले वित्तीय कार्यों के बारे भी विस्तार से जानकारी दी।
विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधार राजपाल ने अन्तर जिला परिषद की बैठक की रूप रेखा व जिला परिषदों को दिए जाने वाले कार्यों पर एक प्रस्तुतिकरण दी।
मुख्यमंत्री ने जिला परिषदों के अध्यक्षों से सीधा संवाद किया तथा ओपन हाउस का आयोजन कर आगामी वित्त वर्ष के दौरान बजट में शामिल करने के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर जिला परिषदों के अध्यक्ष अपने सुझाव भेज सकते हैं। उन्होंने कहा कि 17 से 19 फरवरी तक विधायकों से सुझाव आमंत्रित करने के लिए प्री-बजट बैठक बुलाई गई है।
हरियाणा स्वर्ण जयंती वित्त प्रबंधन संस्थान के महानिदेशक व अंतर जिला विकास परिषद के सदस्य सचिव श्री विकास गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
बैठक में, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती धीरा खण्डेलवाल, महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अमित झा, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डा0 महावीर सिंह के अलावा विभागों के प्रशासनिक सचिव, पंचकूला के उपायुक्त एम के अहुजा के अलावा जिला परिषदों व पंचायत समितियों के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों सहित विभाग के अन्य अधिकारी व अनेक सरपंच भी उपस्थित थे।