चण्डीगढ़, 4 जून- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के सभी उपायुक्तों को बाढ़ नियंत्रण की चल रही विभिन्न अल्पावधि योजनाओं पर कार्य तेज करने और स्थलों का व्यक्तिगत रूप से दौरा करने के निर्देश दिये हैं ताकि इन योजनाओं को मानसून शुरू होने से पहले समय रहते पूरा किया जा सके। उपायुक्तों के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि शहरी एवं ग्रामीण ड्रेनों की सफाई करने सहित बाढ़ नियंत्रण की चल रही योजनाओं और अन्य बाढ़ नियंत्रण उपायों पर 20 जून, 2020 तक कार्य पूरा हो जाना चाहिए।
श्री मनोहर लाल ने ये निर्देश आज यहां वीडियो कॉन्फें्रसिंग के माध्यम से राज्य में बाढ़ नियंत्रण की चल रही तैयारियों की समीक्षा करने के लिए सभी उपायुक्तों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए। वर्तमान में, राज्य के विभिन्न जिलों में 132.25 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 143 अल्पावधि योजनाओं पर कार्य चल रहा है।
उपायुक्तों को अपने संबंधित जिलों में सभी बाढ़ नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि कार्य की प्रगति की समीक्षा करने के लिए उपायुक्तों को हर सप्ताह व्यक्तिगत रूप से स्थल का दौरा करना चाहिए और कार्य को शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाना सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्रेनों से गाद निकालने के कार्य को हर कीमत पर 20 जून, 2020 से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए। उन्होंने उपायुक्तों को विशेष रूप से यमुनानगर और करनाल जिलों में नदियों के तटों को सुदृढ़ किया जाना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए ताकि बाढ़ की संभावना को रोका जा सके।
बैठक में बताया गया कि राज्य में कुल 833 शहरी एवं ग्रामीण ड्रेनों में से 588 ड्रेनों की सफाई के लिए पहचान की गई है। यह भी बताया गया कि मनरेगा के तहत ड्रेनों की सफाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, इस उद्देश्य से ड्रेनों की सूची को सिंचाई एवं जल संसाधन, शहरी स्थानीय निकाय, लोक निर्माण (भवन और सडक़ें) और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के साथ सांझा किया गया है। चूंकि राज्य में 18 ड्रेनों का प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और रेलवे द्वारा किया जा रहा है इसलिए संबंधित उपायुक्तों को निर्देश दिये गये हैं कि वे इन ड्रेनों की सफाई के लिए एनएचएआई और रेलवे के साथ समन्वय करें।
बैठक में यह जानकारी दी गई कि राज्य में लगभग 522 ऐसे अस्थायी स्थलों की पहचान की गई है जहां मानसून के दौरान जल संचय की संभावना है। इन स्थलों से पम्पों के माध्यम से अतिरिक्त पानी की निकासी करने के लिए पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं और इसके लिए अस्थाई बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया गया है।
यह भी बताया गया कि नदी या नहर के तटों में कटाव की संभावना को रोकने के मद्देनजर सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने संवेदनशील स्थलों की पहचान करने के लिए कर्मचारियों का एक रोस्टर तैयार किया है। इसके अलावा, विभाग कमजोर स्थलों पर संसाधनों की तत्काल आपूर्ति के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार कर रहा है।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को विशेष रूप से कैथल, कुरुक्षेत्र एवं रतिया और उन अन्य क्षेत्रों, जहां बारिश के दौरान भारी मात्रा में पानी जमा हो जाता है, में रिचार्जिंग शाफ्ट के निर्माण के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि योजना तैयार करते समय किसानों के अलावा क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में पहले कम से कम 1000 रिचार्जिंग शॉफ्टस का निर्माण किया जाना चाहिए।
उन्होंने सभी उपायुक्तों के साथ बातचीत की और उनके संबंधित जिलों में चल रहे विभिन्न बाढ़ नियंत्रण कार्यों की प्रगति के बारे में फीडबैक लिया।
बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, गृह और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजीव अरोड़ा, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आलोक निगम, बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीसी गुप्ता, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह, विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर राजपाल, श्रम विभाग के प्रधान सचिव श्री विनीत गर्ग, नगर एवं ग्राम आयोजन विभाग के प्रधान सचिव श्री ए.के. सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री की उप-प्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, डीजीपी श्री मनोज यादव और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।