मंगलवार, June 4, 2019

 

  • चण्डीगढ़, 4 जून - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में  हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। नए अधिनियम को हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास और विनियमन (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2019 कहा जाएगा।
  • नए अधिनियम के अनुसार, किसी अदालत या ट्रिब्यूनल या अन्य प्राधिकरण के निर्णय, डिक्री या आदेश के बावजूद, विकास शुल्कों के भुगतान पर चक्रवृद्धि ब्याज लगाने के संबंध में की गई कोई भी कार्रवाई, वह या तो कार्यकारी निर्देशों को जारी करने के माध्यम से या लाइसेंस जारी करते समय द्विपक्षीय समझौते के निष्पादन में निर्धारित शर्तों के माध्यम से या कॉलोनाइजऱ से प्राप्त किसी भी अंडरटेकिंग के तहत की गई हो या हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियिमन (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2018 के प्रभावी होने से पूर्व की गई कोई कार्रवाई या कथित रूप से की गई हो, को वैध और प्रभावी माना जाएगा, जैसे कि इस तरह की कार्रवाई हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास और विनियमन (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2019 के प्रावधानों एवं किसी भी कार्यकारी निर्देश या इस संबंध में द्विपक्षीय समझौते या प्राप्त अंडरटेकिंग के अनुसार की गई है। 
  • यदि हरियाणा शहरी क्षेत्रों का विकास एवं विनियमन (संशोधन तथा मान्यकरण) अधिनियम, 2019 में निहित प्रावधानों के अनुरूप यथा संशोधित तथा मान्य प्रावधानों के अनुरूप कालोनाइजर द्वारा कोई भुगतान किया गया है, या द्विपक्षीय अनुबंध निष्पादित हुआ है, या कार्यकारी निर्देश जारी किए गये हैं, या शपथ पॠत्र प्राप्त किए गये हैं, या वसूलियां की गई हैं तो ऐसे सभी भुगतान /वसूलियां वैध और प्रभावी समझी जाएंगी तथा इन्हें किसी न्यायालय या ट्रिब्यूनल या अन्य प्राधिकरण में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। 
  • विभिन्न कालोनाइजरों द्वारा विकास शुल्क के विलम्बित भुगतान के सम्बन्ध में किए गये चक्रवृद्धि ब्याज घटक के समक्ष पहले से वसूली गई राशि के सम्बन्ध में, निदेशक द्वारा कार्यकारी निर्देश जारी करके या द्विपक्षीय अनुबंध में निर्धारित शर्तों के माध्यम से या कालोनाइजर से ली गई किसी शपथ के माध्यम से बाहरी विकास शुल्कों के विलम्बित भुगतान पर चक्रवृद्घि ब्याज लगाने के सम्बन्ध में, सरकार द्वारा या सरकार के किसी अन्य अधिकारी द्वारा या किसी प्राधिकारी द्वारा किए गये सभी कार्य, प्रक्रियाएं या चीजें, सभी उद्देश्यों के लिए कानून के अनुरूप समझी जाएंगी।
  • पहले से जमा करवाई गई किसी भी राशि की प्रतिपूर्ति या पहले से किए गये द्विपक्षीय अनुबंध या इस सम्बन्ध में जारी कार्यकारी निर्देशों या प्राप्त की गई किसी शपथ के निरस्तीकरण के सम्बन्ध में किसी भी न्यायालय में या अन्य प्राधिकरण के समक्ष कोई भी मुकद्दमा या अन्य कार्यवाही चलाई या जारी नहीं रखी जा सकेगी।
  • कोई भी न्यायालय या प्राधिकरण वसूले गये किसी चक्रवृद्धि ब्याज की प्रतिपूर्ति या इस सम्बन्ध में किए गये द्विपक्षीय अनुबंध या जारी किए गये कार्यकारी निर्देशों या प्राप्त की गई किसी शपथ के निरस्तीकरण के निर्देश देने वाला कोई आदेश या डिक्री लागू नहीं करेगा।