चण्डीगढ़, 31 जुलाई - संदिग्ध निष्ठा के दायरे में आने वाले अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्यवाही करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार को उनकी संदिग्ध निष्ठा के तहत तीन महीने के नोटिस देने के उपरांत अनिवार्य सेवानिवृत्ति के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव हरियाणा सरकार की एक समीक्षा समिति द्वारा दिया गया था, जिसमें 14 आईपीएस अधिकारियों को सरकारी सेवा में बने रहने हेतु फिट पाया गया। इन अधिकारियों ने 15 और 25 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है, और इन अधिकारियों ने आईपीएस में शामिल होने के बाद 5 वर्ष की सेवा भी पूरी कर ली है।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 15 आईपीएस अधिकारियों के गोपनीय रिकॉर्ड और उपलब्ध सामग्री का आकलन करने पर यह पाया गया कि विनोद कुमार को छोड़कर 14 अधिकारी पुन:सेवा के लिए फिट हैं। सरकारी सेवा में बने रहने के लिए उपयुक्त पाए गये 14 आईपीएस अधिकारियों में विकास धनखड़, कुलदीप सिंह, कृष्ण मुरारी, शिव चरण, बलवान सिंह, राकेश आर्य, सतेंद्र कुमार गुप्ता, बी सथीश बालन, आलोक मित्तल, श्रीकांत जाधव, सुश्री कला रामचंद्रन, नवदीप सिंह विर्क, डॉ० सीएस राव और डॉ० एम० रवि किरण शामिल हैं।
यह पाया गया है कि 1 अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2015 की अवधि के दौरान विनोद कुमार के पीएआर में संदिग्ध निष्ठा को इंगित किया गया है। विनोद कुमार ने ट्रैफि़क विभाग में विशेष स्थानों पर पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण और नियुक्ति के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग किया था। सरकार द्वारा विनोद कुमार को निलंबित भी कर दिया गया था और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि पीएआर की रिपोर्टिंग को अंतिम रूप दिए जाने से पहले सम्बन्धित अधिकारी को संदेश भेजा जाता है और विनोद कुमार ने प्रतिकूल टिप्पणियों के विरूद अपना कोई प्रस्तुतिकरण नहीं दिया था।