शुक्रवार, June 14, 2019

चण्डीगढ़, 14 जून- हरियाणा में पंचायती राज संस्थानों को और अधिक सुदृढ़ करने, शक्तियों के हस्तांरण के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने और राज्य की विकास प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज जिला परिषदों को और अधिक कार्य हस्तांतरित करने की घोषणा की। अब जिला परिषदें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा), प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और समेकित वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के तहत कार्य करने में सक्षम होंगी।

श्री मनोहर आज यहां विकास एवं पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं की एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

बैठक में विकास एवं पंचायत मंत्री श्री ओ.पी.धनखड़, विधायक श्री ज्ञान चंद गुप्ता एवं श्रीमती लतिका शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर राजपाल, जिला परिषदों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, सभी अतिरिक्त उपायुक्त और सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारी, (सीईओ) जिला परिषद उपस्थित थे।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि सीईओ जिला परिषद के पास स्वतंत्र प्रभार होगा और किसी भी एडीसी को सीईओ जिला परिषद का प्रभार नहीं दिया जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि विकास कार्य करवाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग या जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग या किसी अन्य विभाग में से एक कनिष्ठ अभियंता को प्रत्येक जिले में जिला परिषदों का स्वतंत्र प्रभार दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थानों और ग्रामीण विकास की प्रशासनिक प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि जमीनी स्तर पर विकास कार्यों को गति मिल सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अभी और प्रयास किए जाने आवश्यक हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्य के लोग राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों में वर्तमान राज्य सरकार को पूर्ण एवं स्पष्ट जनादेश देकर दोबारा सेवा करने का मौका देंगे। उन्होंने कहा कि पहली नवंबर, 2019 को हरियाणा दिवस के अवसर पर कई नए निर्णय लिए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की निचले स्तर पर कार्यों के निष्पादन में पारदर्शिता लाने के लिए सोशल ऑडिट प्रणाली सहित अनेक नई पहलें लागू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों, सेवानिवृत्त शिक्षकों और इंजीनियरों को शामिल करके ग्राम स्तरीय समितियों का गठन किया जाना चाहिए जो न केवल विकास कार्यों की प्रगति की निगरानी करेगी बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेंगी। समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि विकास कार्यों में उत्तम स्तर की सामग्री का उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परिसंपत्तियां सुरक्षित हाथों में होनी चाहिए और इसके लिए हमें उनके ट्रस्टी के रूप में कार्य करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले धन के अलावा, जिला परिषदों को अपने स्वयं के आय स्रोत उत्पन्न करने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले जिला परिषदों का बजट केवल एक से दो करोड़ रुपये हुआ करता था जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 20 से 25 करोड़ रुपये तक कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम जिला परिषदों के बजट को और बढ़ाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य की विकास प्रक्रिया में पंचायती राज संस्थानों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर गठित इंटर स्टेट काउंसिल की तर्ज पर अंतर जिला परिषद का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि 3 जनवरी, 2019 को आयोजित आईडीसी की पूर्व बैठक में उन्होंने जिला परिषदों को कई विकास कार्य एवं योजनाएं सौंपने की घोषणा की थी। इनमें शिवधाम योजना के तहत शमशानघाट या कब्रिस्तान का रखरखाव, आंगनवाड़ी केंद्रों के नए भवन का निर्माण और पुराने भवनों का रखरखाव, स्वास्थ्य उप केंद्रों का रखरखाव, बस क्यू शेल्टर का रखरखाव और प्राथमिक विद्यालयों की निगरानी शामिल हैं।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि जन्म पंजीकरण की तरह राज्य सरकार प्रदेश में मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य करने की योजना बना रही है ताकि वास्तविक समय के आधार पर आबादी के वास्तविक आंकड़ों का पता लगाया जा सके। इसके लिए, राज्य में सभी शमशानघाटों या कब्रिस्तानों का पंजीकरण किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में शमशानघाट या कब्रिस्तानों के लिए, ग्राम चौकीदार को नोडल पर्सन बनाया गया है जबकि शहरी क्षेत्रों में, समाज का प्रधान नोडल अधिकारी होगा।

इससे पूर्व, इस अवसर पर बोलते हुए विकास एवं पंचायत मंत्री श्री ओ.पी.धनखड़ ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों का शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर विकास सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ी लिखी पंचायतों ने युवाओं को अपने गांवों के कल्याणार्थ कार्य करने के लिए नए लीडरशिप अवसर प्रदान किए हैं। उन्होंने हरियाणा से बाहर रह रहे प्रदेश के लोगों से अपने गांवों के विकास में सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की परिकल्पना शहरों एवं कस्बों में उपलब्ध सुविधाओं की तर्ज पर गांवों में सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की है और यह केवल पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधियों के सहयोग एवं समर्थन से ही संभव हो सकता है।