चण्डीगढ, 24 जुलाई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने विभागों को वित्त वर्ष के अंत तक निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के साथ-साथ केन्द्र सरकार से विभिन्न कल्याण एवं विकास योजनाओं के तहत धन के केन्द्रीय हिस्से को शीघ्र जारी करने पर बल देने के भी निर्देश दिए।
श्री मनोहर लाल आज यहां वित्त वर्ष 2019-20 (प्रथम तिमाही) के लिए विभिन्न विभागों के बजटीय व्यय की समीक्षा के लिए बुलाई गई एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी उपस्थित थे।
वित्त मंत्री ने डिस्ट्रिक्ट बजट की अवधारणा को समझाया जिसमें17 स्थायी लक्ष्यों के तहत जिले में लागू की जा रही सभी योजनाओं का वित्तीय संवितरण शामिल था।आउटपुट-आउटकम फ्रेमवर्क को सरकारी खर्चों के परिणाम-आधारित निगरानी के लिए पेश किया गया है। सभी प्रशासनिक सचिव जिलों और राज्य में योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए इन दो उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
मुख्य सचिव, श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने विभागों को अपने राजस्व और व्यय लक्ष्यों को प्राप्त करने और विकास कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के लिए प्राप्तियों और व्यय पर एक प्रस्तुति दी और व्यय स्तरों में सुधार करने के लिए उपकरणों पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने विभागों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की क्योंकि रसीदें विशेष रूप से जीएसटी प्राप्तियों में रुझान बढ़ा रही हैं।
विभागवार बजट खर्च की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने विभागों को कार्य की गति में तेजी लाने और अधिकतम कार्यों को अगस्त महीने तक पूरा करने को कहा ताकि वे समय पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। श्री मनोहर लाल ने कहा कि उनके हस्तक्षेप के अलावा, विभाग को अपने संबंधित विभागों की विभिन्न योजनाओं से संबंधित केंद्रीय हिस्से को शीघ्र जारी करवाने के लिए केंद्र सरकार से सम्पर्क करना चाहिए। जून, 2019 तक केन्द्र से लगभग 1000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की गई है। उन्होंने विभागों को एक जैसे लक्ष्य वाली विभिन्न योजनाओं को समेकित करने के लिए भी कहा क्योंकि योजनाओं की बहुलता लाभार्थियों के बीच भ्रम पैदा कर सकती है।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2019-20 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लिए राजकोषीय घाटे का अनुपात 2.59 प्रतिशत है जो एफआरबीएम मापदंडों के भीतर है। बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार ने हरियाणा राज्य वित्तीय सेवाएं लिमिटेड नामक एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी स्थापित की है और अगस्त माह से विभाग बैंकों में राशि जमा करवाने की बजाय इस कम्पनी में राशि जमा करवाएंगे। हरियाणा राज्य वित्तीय सेवाएं लिमिटेड जमा राशि पर विभागों को ब्याज देगा। विभाग खर्च के लिए धनराशि का 25 प्रतिशत अपने पास रखेंगे और शेष राशि इस कम्पनी में जमा करवाई जाएगी।;
बैठक में बताया गया कि विभागों को ग्रांट इन एड पोर्टल का अधिकतम उपयोग करने के लिए कहा गया है। विभागों को सभी प्रकार की ग्रांट ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा रही है। बताया गया कि नाबार्ड की वित्त पोषण व्यवस्था में भी सुधार किया गया है। अब यदि नाबार्ड किसी परियोजना के लिए स्वीकृति प्रदान नहीं करता है या किसी कारणवश इस स्वीकृति में देरी हो जाती है तो उसके लिए राज्य सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध करवाई जाएगी। यह भी बताया गया कि योजनाओं और बजट की रिपोर्टिंग एवं निरीक्षण के लिए सभी विभागों को शीघ्र ही एक नया मोबाइल एप, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल डेशबोर्ड उपलब्ध करवाया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनन्द अरोड़ा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती नवराज संधू, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुनील गुलाटी, आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के.दास, आवास के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री धनपत सिंह, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजीव अरोड़ा, सहकारिता विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री ज्योति अरोड़ा, उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेन्द्र सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी.उमा शंकर और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।