चंडीगढ़, 1 नवंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों को फसल अवशेषों को न जलाने के लिए प्रोत्साहित करें और साथ ही उन्हें फसल के अवशेषों के प्रबंधन के लिए विभिन्न विकल्पों के बारे में बताएं ताकि पर्यावरण का संरक्षण किया जा सके।
मुख्यमंत्री आज यहां फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
बैठक में बताया गया कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष 22 अक्टूबर तक राज्य में फसल अवशेष जलाने के क्षेत्र में 34 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पिछले साल जहां 57,000 हेक्टेयर भूमि पर फसल अवशेष जलाने की सूचना मिली थी वहीं इस वर्ष केवल 38,000 हेक्टेयर में फसल अवशेष जलाने की जानकारी मिली है। यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 6.5 प्रतिशत फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आई है।
बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) पखवाड़े का आयोजन किया गया था, जिसमें लगभग 1.20 लाख छात्रों की सहायता से राज्य के प्रत्येक गाँव को कवर करने का प्रयास किया गया था। इसके अलावा, ‘पराली पलटन’ के नाम से एक स्वयंसेवी गतिविधि भी 20,000 एनएसएस छात्रों की भागीदारी के साथ शुरू की गई थी। साथ ही छात्रों को यह भी शपथ दिलाई गई कि वे कृषि अवशेषों को नहीं जलाएंगे और दूसरों को भी इस गतिविधि से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि अब तक 1248 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जो कि स्थापित किए जाने वाले कुल केंद्रों की संख्या का 90 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारी राज्य के उन शीर्ष 10 गांवों का दौरा करें जहां फसल अवशेष जलाने की गतिविधि के पीछे के कारण का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि उन लोगों को 1000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा जो अपने क्षेत्र में फसल अवशेषों को जलाने के बारे में जानकारी देंगे और सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान को भी गुप्त रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि संबंधित जिलों के उपायुक्त (डीसी) भी इन गांवों में ग्राम सभा की बैठक आयोजित करेंगे ताकि इस मुद्दे पर किसानों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया जा सके और इसके पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।
मुख्यमंत्री द्वारा किसानों से फसल अवशेषों की खरीद के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए थे। उन्होंने बिजली उत्पादन के लिए चीनी मिलों में फसल अवशेषों के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि इस संबंध में एक रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल अवशेष बेचने और फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के नवीनतम उपकरणों और लाभों को देने पर भी चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने उपायुक्तों को अपने संबंधित जिलों में फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि राज्य की प्रत्येक मंडी में एक मृदा परीक्षण लैब खोली जाए जिसमें किसानों की कृषि भूमि का परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने कृषि और किसान कल्याण विभाग को इस संबंध में एक कार्यक्रम बनाने का निर्देश दिया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक पांच गांवों पर माइक्रो मृदा परीक्षण लैब स्थापित की जाएगी। उन्होंने राज्य में एक व्यापक ‘लवणता मुक्त भूमि’ अभियान शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कृषि और किसान कल्याण विभाग से कहा कि वे लवणयुक्त भूमि को खेती योग्य बनाने के लिए प्रयास करें ताकि इस भूमि को किसानों के लिए आजीविका का स्रोत बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन पर संतोष व्यक्त किया और विभाग को इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए कहा। उन्होंने पर्यावरण के बारे में अधिक सतर्क होने और भविष्य की पीढिय़ों के लिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा, महाधिवक्ता श्री बलदेव राज महाजन, कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण श्रीमती धीरा खंडेलवाल के अलावा कृषि एवं किसान कलयाण विभाग तथा पर्यावरण विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।