चंडीगढ़, 3 दिसम्बर- महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए कर्म के सिद्धांत को हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने न केवल देश में बल्कि पिछले 4 वर्षों से विश्व के कोने-कोने में पहुंचाने की पहल करने के बाद अब उन्होंने कुरूक्षेत्र को दिव्य कुरूक्षेत्र को भव्य कुरूक्षेत्र बनाने की घोषणा की है इसके लिए कुरूक्षेत्र में पांच एकड़ भूमि पर भारत माता का मंदिर बनाया जाएगा। इससे कुरूक्षेत्र को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पहचान मिलेगी।
मुख्यमंत्री आज अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के उदघाटन अवसर पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के श्रीमद्भागवत सभागार में आयोजित तीन दिवसीय श्रीमद्भागवत गीता का शाश्वत दर्शन एवं सार्वभौमिक कल्याण विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठïी कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2013 तक गीता महोत्सव केवल कुरूक्षेत्र उत्सव के रूप में मनाया जाता था उसके बाद 2014 से गीता महोत्सव सभी जिला स्तर, ब्लाक स्तर पर मनाने की पहल करने के बाद अब 2016 लगातार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गीता महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी वर्ष फरवरी में मोरिशियस में पहली बार भारत से बाहर गीता महोत्सव का आयोजन करवाया गया। उसके बाद अगस्त 2019 में इग्लैंड ने अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन करवाया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि आज की इस अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठïी में आस्टेलिया के प्रतिनिधि ने 20 से 23 मार्च 2020 तक अपने देश में गीता महोत्सव मनाने की घोषणा की है। उसके बाद कनाडा के प्रतिनिधि ने भी आज जुलाई 2020 में वहां गीता महोत्सव का आयोजन करवाने की सहमति दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर वर्ष गीता महोत्सव में किसी न किसी राज्य को भागीदारी राज्य तथा किसी न किसी देश को भागीदारी देश बनाया जाता है। इस वर्ष उत्तराखण्ड भागीदारी राज्य है तो नेपाल भागीदारी देश है। नेपाल के नई दिल्ली में उप उच्चायुक्त श्री भरत कुमार रेकवी ने भी नेपाल में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन करने की सहमति व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण दिन है संयोग से आज भारत रत्न एवं देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद व स्वतंत्रता संग्राम में सबसे युवा शहीद खुदीराम बोस का जन्मदिवस भी है।
उन्होंने कहा कि 600 करोड़ की विश्व की जनसंख्या गीता के संदेश के उत्पति स्थल के बारे अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें इसके लिए भी प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा की 48 कोस की परिधि में महाभारत काल से जुड़े कौरवों और पाण्डवों के मंदिर व सरोवर स्थल हैं इसके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के माध्यम से उनका जीर्णोधार करने की योजना पहले ही बनाई जा चुकी है और वे स्वयं इन स्थलों का दौरा कर चुके हैं। लोगों की किसी न किसी रूप में आज भी उनसे आस्था जुड़ी हुई है।
गीता महोत्सव के दौरान आने वाले आगंतुक इन स्थलों का भी दौरा करें इसके लिए विशेष बसों की व्यवस्था भी की गई है। केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय ने कृष्णा सर्किट फेज-वन के तहत 90 करोड़ रूपये से अधिक की राशि उपलब्ध करवाई जिसके तहत ज्योतिसर व ब्रहमसरोवर को नया रूप दिया गया है।
इसके अलावा ब्रहमसरोवर पर अन्य प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत भारतीय तेल निगम ने 8 से 10 करोड़ रूपये की राशि कुरुक्षेत्र के विकास के लिए खर्च करने की सहमति दी है जिस पर शीघ्र ही समझौते के हस्ताक्षर किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में लगभग 100 से अधिक धर्मशालाएं हैं जिनमें प्रतिदिन 8 से 10 हजार लोग गीता महोत्सव व सूर्यग्रहण के दौरान ठहरते हैं इस कार्य में सहयोग के लिए कई सामाजिक संस्थाएं आगे आ रही हैं।उन्होंने कहा कि हरियाणा पर्यटन विभाग भी एक फाईवस्टार होटल विकसित कर रहा है।
इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधाएं अधिक से अधिक हों इसके लिए कुरुक्षेत्र व करनाल के बीच एक हवाई अड्डïा बनाने का भी प्रस्ताव विचाराधीन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जियो गीता जैसे संस्थान भी गीता पर शौध करने के लिए भी देश विदेश के गीता मनीषियों को सुविधा उपलब्ध करवा रहा है इसके लिए गीता मनिषी श्री ज्ञानानंद जी महाराज का भी विशेष आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की धरा सिख गुरूओं से भी जुडी हुई है। सिखों के 10 गुरूओं में से 8 गुरू किसी न किसी रूप में कुरुक्षेत्र की धरा पर आए हैं। इस स्मृति को स्थाई बनाने के लिए कुरुक्षेत्र में एक अन्तर्राष्ट्रीय सिख संग्राहलय का निर्माण करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि त्रिरूपति का मंदिर भी यहां बनाया गया है। इसके अलावा गीता प्रैस का भी स्थाई स्टाल ब्रहमसरोवर पर है।
उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीनतम नदी सरस्वती की धारा का भी प्रवाह यहां रहा है परन्तु कालांतर में इस नदी का जल प्रवाह मार्ग बदल गया। उपग्रह से प्राप्त चित्र आज भी प्रमाणित करते हैं कि भूमि के नीचे सरस्वती का प्रवाह आज भी मौजूद है और यह कुरुक्षेत्र, पिहोवा होते हुए सिरसा, राजस्थान होते हुए सिंघूू नदी जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता हमें कर्म करने का संदेश देती है तो वहीं जीवन में लालसा छोडऩे की भी सीख देती है। इसी संदेश को हमें विश्व में पहुंचाने की पहल की है। उन्होंने कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों का वे विशेष आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने हरियाणा के गीता के संदेश को अपनाने की पहल की है।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेद्र सिंह रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड ऐसा राज्य है जहां पाण्डवों से जुडी कथाएं घर-घर से जुड़ी हैं। विवाह शादी के अवसर पर पाण्डव नृत्य यहां का विशेष उत्सव होता है। चतूर बिहू, कामधून बिहू व त्रिशूल बिहू यहां के विशेष उत्सव हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल राजनैतिक इच्छा शक्ति के फलस्वरूप ही गीता का संदेश विश्व के कोने-कोने में गया है। गीता केवल हिन्दूओं का धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि यह जीवन का सार है। विश्व के विकसित देशों ने भौतिक सुख-संसाधन तो जुटा लिए परन्तु शांति व सुखमय जीवन का ज्ञान उन्हें गीता से ही प्राप्त हुआ है।
गीता मनीषी श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की सेवा समर्पित भाव से ही आज हम वास्तव में गीता के कर्म के संदेश को प्रकट रूप में देख रहे हैं। पूरे विश्व में आज यह संदेश चरितार्थ व सार्थक हुआ है ऐसा अनुभव उन्हें स्वयं हो रहा है। उन्होंने कहा कि गीता हिन्दूओं की आस्था का ग्रंथ नहीं है बल्कि समूचे मानवता का गौरव ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल की अन्तरिक्ष यात्रि सुनीता विलियमस ने अन्तरिक्ष में 175 दिन का समय व्यतीत किया था। उन्होंने इस सफलता के पीछे गीता को अपने साथ माना है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र हरियाणा का गौरव है और हमें दलगत राजनीति से उपर उठकर इसे वैश्विक पहचान दिलानी होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्रतिदिन गीता का पाठ करते थे। स्वतंत्रता संग्राम के राम प्रसाद बिस्मिल, खुदी राम बोस, मदन लाल ढींगडा जैसे शहीदों ने भी सदैव गीता को साथ रखा। उन्होंने कहा कि गीता के संदेश को विश्व में पहुचाने के एक वातावरण की शुरुआत हरियाणा के मुख्यमंत्री ने की है इसके लिए वे उनका आभार भी व्यक्त करते हैं।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि श्रीमदभगवदगीता एक अदभूत ग्रंथ है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन द्वारा पूछे गए लगभग 700 सवालों का जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को पूरा किया परन्तु अंत में वो कर्म के सिद्धांत का संदेश देने में सफल हुए। उन्होंने कहा कि गीता में आत्मा अमर है और शरीर नस्वर है। इस संदेश से उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए महाभारत का युद्ध जीतने का संदेश पाण्डवों को दिया था। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ करना अधर्म है।
हिमाचल प्रदेश के केन्द्रीय विद्यालय के कुलपति एच.एस.बेदी, इंग्लैंड से आए उमेश शर्मा, आस्टेलिया से आए सेवा सिंह, नेपाल के उप उच्चायुक्त श्री भरत कुमार रेकवी, जिम्बावे के उच्चायुक्त लव मोरै कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलदीप प्रो. के.सी.शर्मा ने सभी समारोह को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल, खेल एवं युवा कार्यक्रम राज्यमंत्री सरदार संदीप सिंह, विधायक सुभाष सुधा व रामकुमार कश्यप, पूर्व विधायक डा. पवन सैनी, उपायुक्त एस.एस.फुलिया, पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी, सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के संयुक्त निदेशक प्रशासन एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गगनदीप सिंह के अलावा बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए गीता प्र्रेमी, विचारक तथा विश्वविद्यालय के संकाए सदस्य व विद्यार्थी उपस्थित थे।