शनिवार, जनवरी 18, 2020

चंडीगढ़, 18 जनवरी: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने स्थानीय स्वशासन इकाइयों के रूप में नगर निगमों को वित्तीय रूप से व्यवहार्य और सही मायने में पेशेवर निकायों में बदलने के लिए राज्य की सभी दस नगर निगमों के लिए वित्तीय आत्मनिर्भरता का लक्ष्य निर्धारित किया है।

मुख्यमंत्री आज यहां आयोजित नगर निगमों के मेयर और आयुक्तों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक के दौरान, नगर आयुक्तों और मेयरों ने अपनी आय बढ़ाने और व्यय को कम करने के लिए अपनी संबंधित योजनाएं मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने आई.टी. के उपयोग के माध्यम से कार्य में दक्षता प्राप्त करने और विभिन्न वित्तीय तथा प्रशासनिक शक्तियों के विकेंद्रीकरण पर एक प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने दो ऑनलाइन सेवाओं नामत: पानी एवं सीवर कनेक्शन तथा बिलिंग प्रणाली और भूमि उपयोग परिवर्तन प्रणाली (सीएलयू) का भी शुभारंभ किया। इन ऑनलाइन सुविधाओं के माध्यम से सीएलयू की मंजूरी और पानी एवं सीवरेज कनेक्शन के अनुमोदन के साथ-साथ बिल बनाने और रसीद कलेक्शन की प्रक्रिया सुव्यवस्थित होगी।

बैठक के दौरान, शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने बताया कि नगर निगम आयुक्तों को हरियाणा अग्नि अधिनियम, 2009 के तहत भवन परिसर को सील करने, अपील करने और संशोधन करने की पूरी शक्तियां सौंप दी गई हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय भवन संहिता के प्रावधानों के अनुसार भूमि क्षेत्र पर किसी भी प्रकार की छत होने के बावजूद, फायर एनओसी प्रदान करने और अग्निशमन योजना को मंजूरी देने की शक्तियां भी नगर निगम आयुक्तों को सौंप दी गई हैं। बैठक के दौरान, शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने नगर निगम मे 500 वर्ग गज तक के क्षेत्र के 20 वर्ष तक के किरायेदारों / लीज़ होल्डर्स को स्वामित्व अधिकार के हस्तांतरण के मामलों को तय करने का प्रस्ताव रखा

बैठक के दौरान, शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने आयुक्तों और नगर निगमों के मामले में निविदाओं की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति की सीमा को बढ़ाकर क्रमश: 2.50 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये करने का भी प्रस्ताव रखा। यह भी प्रस्ताव रखा गया कि आयुक्त और नगर निगमों के पास क्रमश: 2.50 करोड़ रुपये और 10.00 करोड़ रुपये तक के पूंजीगत कार्यों को मंजूरी देने की शक्ति होनी चाहिए और इसी के साथ रखरखाव कार्यों के मामले में असीमित शक्ति दी जानी चाहिए। यह भी प्रस्तावित किया गया कि उनके पास काम करने वाले अधिकारियों के एक निश्चित स्तर के संबंध में समवर्ती नियुक्ति प्राधिकारी की शक्तियां दी जानी चाहिएं।

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि फरीदाबाद और गुरुग्राम के तर्ज पर भवन योजना और व्यवसाय प्रमाणपत्र के अनुमोदन के लिए आवश्यक शक्तियां भी शेष नगर निगमों के आयुक्तों को सौंपी जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से संपत्ति कर और पानी एवं सीवरेज बिलों की बकाया राशि वसूलने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की। नागरिकों को अपने बकाया राशि जमा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभाग को एकमुश्त निपटान योजना बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने नागरिकों को समय और परेशानी मुक्त सेवाओं के वितरण पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि सुशासन के अवसर पर, राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वर्ष 2020 को सुशासन संकल्प वर्ष के रूप में मनाया जाएगा और केवल ई-गवर्नेंस के माध्यम से जनता के लिए सेवाओं का उचित और त्वरित वितरण संभव है। उन्होंने कहा कि पानी एवं सिवरेज बिलिंग सिस्टम तथा भूमि परिवर्तन उपयोग (सीएलयू) को ऑनलाइन करने से न केवल पारदर्शिता आएगी बल्कि भ्रष्टाचार को कम करने में भी मदद मिलेगी।

बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि स्थानीय निकायों द्वारा किए जा रहे कार्यों के दर सूची (कॉटेशन) में पारदर्शिता लाने के लिए सभी नगर निगमों में एक कॉटेशन मैनेजमेंट सिस्टम भी लॉन्च किया जाएगा। बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य के नगर निगमों में लेखांकन प्रणाली में सुधार लाने के लिए, डबल एंट्री अकाउंटिंग सिस्टम लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग संपत्तियों के उचित मूल्यांकन के लिए किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि समय की जरुरत को देखते हुए पानी को बचाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके लिए शहरों में डबल लाइनिंग सिस्टम शुरू किया जाना चाहिए, जिसके तहत उपचारित पानी का दोबारा उपयोग पीने की बजाय अन्य कार्यों के लिए किया जा सके। इसकी शुरुआत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों से की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि निरंतर जल आपूर्ति की निगरानी, माप सुनिश्चित करने और पानी के नुकसान को काफी कम करने के लिए सभी जिलों में स्मार्ट वॉटर मीटर लगाए जाएं।

उन्होंने कहा कि सभी निगमों के लिए कलेक्टर रेट तर्कसंगत किया जाए। उन्होनें कहा कि शहरों में लाल डोरे की समस्या नहीं है, शहर का क्षेत्र सामान्य राजस्व वाला क्षेत्र है, इसलिए लंबित रजिस्ट्रियां कुछ छूट देकर पूरी की जाएं। उन्होंने कहा कि धर्माथ ट्रस्ट के नाम पर प्लॉट आवंटित करवाकर चलाए जाने वाली संस्थाएं यदि वाणिज्यिक गतिविधियां चलाती हैं तो उन पर भी संपत्ति कर लगाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी सोसाइटियां जिन्होंने ईडीसी और कन्वेयन्स डीड के बिना प्लॉट बनाकर बेचे हैं, ऐसी सोसाइटियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, शहरी स्थानीय निकाय विभाग महानिदेशक श्री अमित अग्रवाल, अतिरिक्त निदेशक श्रीमती वर्षा खनगवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।