बुधवार, जनवरी 22, 2020

चंडीगढ़, 22 जनवरी- लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने कहा कि हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां कर्म योग है, ज्ञान योग है और यह अपनी अलग संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। विकास की दृष्टि से इसे देश में बहुआयामी विकास का प्रतीक माना गया है। यहां की विधानसभा का भी एक इतिहास रहा है, जनता जिन विधायकों को पांच वर्ष के लिए चुनती है, वे उनकी आशाओं व अपेक्षाओं के रक्षक होते हैं। इसलिए यह जनप्रतिनिधि की जिम्मेवारी होती है कि वह विधायी कार्यों के संदर्भ में कानून बनाए, नीति निर्धारण कर कार्यपालिका के माध्यम से धन का सही उपयोग हो और खर्च पर नियंत्रण कर अपनी भूमिका निभाए। जनता व सरकार के बीच एक सेतु का कार्य करें।

श्री ओम बिड़ला आज हरियाणा विधानसभा सदन में पहली बार चुनकर आए 44 विधायिकों को विधायिका कार्य प्रणाली समझाने के लिए लोकसभा सचिवालय नई दिल्ली के लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा हरियाणा विधानसभा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम (Orientation Programme) के समापन अवसर पर उपस्थित हरियाणा विधानसभा के सदस्यों व सांसदों को सम्बोधित कर रहे थे।

श्री बिड़ला ने कहा कि राज्यों के विधानसभा व विधानमण्डल तथा देश की लोकसभा हमारे लोकतंत्र के मंदिर हैं। एक जनप्रतिनिधि जिन आशाओं व अपेक्षाओं के साथ जनता चुनकर भेजती है उन पर खरा उतरने के लिए विधायी कार्यों को पक्ष और विपक्ष तर्क व वितर्क तथा उपयोगी व सार्थक संवाद के माध्यम से पूरा करता है। जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के इन मंदिरों का संचालय निर्बाध रूप से चले और इसमें किसी भी प्रकार का व्यावधान न हो। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के असीमित अधिकार भी सीमित हों। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के विधानसभा व विधानमण्डलों के विधायी कार्यों के संचालन एक जैसे हों। इसके लिए नई दिल्ली, देहरादून व लखनऊ में राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों व पीठासीन अधिकारियों की तीन-तीन दिवसीय कार्यशालों का आयोजन लोकसभा सचिवालय द्वारा किया जा चुका है।

राज्यों की विधानसभाओं व विधानमण्डलों के निरंतर घट रही सत्रों की संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री ओम बिड़ला ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी इन सत्रों के दौरान चर्चा व सार्थक संवाद को हंगामे की भेंट चढ़ा देते हैं, जो सही नहीं है। यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि वे कई देशों का भ्रमण कर चुके हैं, जहां पर सत्र कहीं तो एक वर्ष में 240 दिन, तो कहीं 150 तो कहीं 140 दिन चलते हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत में परिवर्तन करने की आवश्यकता है और हम जनप्रतिनिधि सामूहिक रूप से इस दिशा में प्रयास कर सत्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं और पिछले कुछ वर्षों में लोकसभा में ऐसा हुआ भी है।

श्री ओम बिड़ला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, जो विधानसभा में सदन के नेता भी हैं, विधानसभा के सत्रों की संख्या बढ़ाने के लिए पिछले पांच वर्षों में किये गए प्रयासों की सराहना भी की। जैसा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने अपने सम्बोधन में लोकसभा अध्यक्ष को अवगत करवाया था कि हरियाणा की 10वीं, 11वीं व 12वीं विधानसभा में सत्रों की संख्या कम रही थी, जबकि 12वीं विधानसभा के दौरान सत्रों की संख्या 56 थी जिसे 13वीं विधानसभा में बढ़ाकर 86 तक किया गया और अब उनका लक्ष्य 14वीं विधानसभा के पांच वर्ष के कार्यकाल में सत्रों की संख्या बढ़ाकर 100 तक करने का है।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सदन को इस बात से भी अवगत करवाया था कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में केवल बजट सत्र की अवधि ही 25 से 28 दिनों तक होती है, जो देश की अन्य विधानसभाओं के लिए एक मिसाल है।

श्री बिड़ला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सदन में निबार्ध एवं निष्पक्ष चर्चा करनी चाहिए और सदन में जनहित से जुड़े मुद्दों को ही उठाना चाहिए और सत्र की अवधि संचालन में कभी बाधा नहीं डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र के प्रति लोग जागरूक हैं तथा इस बात का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछली वर्षों में जितने आम चुनाव हुए हैं, उनमें मतदान प्रतिशतता में निरंतर वृद्धि हुई है और जनता के इस विश्वास को हम लोकतंत्र के मंदिरों में कानून बनाकर कार्यपालिका के माध्यम से हम पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के विधानमण्डल व विधानसभा पूरे राज्य का एक मंच पर चित्रण प्रस्तुत करने का एक माध्यम होते हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के उस प्रयास की भी सराहना की है, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अपने आगामी विधानसभा बजट सत्र में बजट पेश करने से पूर्व भी विधायकों से सदन में सुझाव आमंत्रित करेंगे कि वे अपने क्षेत्र में किन विषयों व मुद्दों को बजट में शामिल करवाया चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा बन जाएगी, जहां बजट प्रस्तुत करने से पूर्व ही विधायकों से सुझाव आमंत्रित किये हैं। इस नई शुरूआत के लिए श्री बिड़ला ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार हरियाणा विधानसभा देश की अन्य विधानसभाओं के लिए एक मॉडल होगी।

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधानसभा की संसदीय स्थायी समितियों में गंभीरता से भाग लेना चाहिए और इन समितियों के माध्यम से सरकार को भेजी गई सिफारिशों को सम्बंधित विभाग के साथ गंभीरता से उठाकर उसे पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वे निश्चित रूप से नवनिर्वाचित 44 विधायकों को नया अनुभव प्राप्त हुआ होगा और वे अनुभवी विधायकों के साथ मिलकर इसे और अधिक लाभकारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज सदन को बिन बाधित चलाने का संकल्प लेना चाहिए। श्री बिड़ला ने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता का भी आभार व्यक्त किया कि जिन्होंने लोकसभा सचिवालय से इस दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को आयोजित करने का अनुरोध किया था।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कार्यक्रम में उपिस्थित होकर अपना प्रेरणादायक सम्बोधन देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला का विशेष आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा सर्वोच्च सदन है और आज हमारे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि वहां के अध्यक्ष हमारी विधानसभा में पधारे हैं। इससे पहले वर्ष 1987 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां दर्शक दीर्घा में आए थे। उन्होंने कहा कि जब कोई ऐसी महान विभूतियां सदन में उपस्थित होती हैं तो हमारा माथा गर्व से ऊंचा हो जाता है और ऐसी विभूतियों से हमें मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम से भी जनप्रतिनिधियों के विधायी कार्य प्रणाली में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा व विधानसभा का अलग-अलग कार्यप्रणाली होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ नई बातें ऐसा कार्यक्रमों से निकलकर आती हैं। मुख्यमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष को इस बात से भी अवगत करवाया कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम हरियाणा विधानसभा सदस्यों के लिए हमने दो नये महत्वपूर्ण निर्णय लेने की सहमति दी है। एक तो सदन में प्रस्तुत किये जाने वाला कोई भी बिल हर विधायक के पास ड्राफ्ट बिल के रूप में कम से कम पांच दिन पहले पहुंचे ताकि वह पूरी तैयारी के साथ बिल से सम्बंधित मुद्दा उठा सके। दूसरा, लोकसभा द्वारा हर वर्ष दिए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार की तर्ज पर हमने अब अपने यहां भी हर वर्ष सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इससे विधायकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निष्पक्ष चर्चा में भाग लेने की उनकी रूचि बढ़ेगी। सदन में विधायकों का व्यवहार भी उचित रहेगा और इससे चर्चा के लिए उनका आचार-विचार भी बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि बजट तैयार करने से पहले बजट से जुड़े हितधारक से सुझाव आमंत्रित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर प्री-बजट की छह बैठकों का आयोजन किया गया और विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने से पहले सदन में विधायकों से चर्चा भी की जाएगी ताकि यदि उनके सुझाव है तो वे उसको बजट में शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि कुछ योजनाएं ऐसी हैं जो पिछली 25-30 वर्षों से चल रही हैं तथा इनकी सार्थकता भी नहीं है। कुछ पुरानी स्कीमें नई योजनाओं के नाम से चलाई जा रही हैं तथा एक हेड से दूसरे सब-हेड में जा रहा है। उन्होंने बजट में इन सबको ठीक करने के लिए उन्होंने प्री-बजट बैठकें का आयोजन करने व विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने से पूर्व बजट सत्र में ही विधायकों से चर्चा कर सुझाव आमंत्रित करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि विधायकों को विधानसभा की स्थायी समितियों में गंभीरता से भाग लेना चाहिए क्योंकि ऐसी समितियां विधानसभा सदन की तरह एक प्रकार का लघु सदन होता है और यहां पर रखे गए विषयों को सम्बंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा गहनता से लिया जाता है।

मुख्यमंत्री ने श्री बिड़ला को अवगत करवाया कि भविष्य में विधायकों के लिए इसी प्रकार के प्रबोधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) के माध्यम से करवाने का निर्णय लिया है।

विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने अपने स्वागतीय भाषण में कहा कि 14वीं विधानसभा के सदस्यों को सम्बोंधन करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला आज यहां हमारे लिए पहुंचे जो हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने अपना समय देने के लिए उनका आभार भी व्यक्त किया। श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोकसभा के अधिकारियों द्वारा नियमावली, प्रश्नाकाल, शून्यकाल, बजटीय चर्चा और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आदि तकनीकी विषयों पर विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि 90 में से 44 विधायक पहली बार चुनकर विधानसभा में आएं हैं और उनके लिए ऐसे कार्यक्रम निश्चित रूप से लाभकारी होंगे तथा उनको आरंभ से सीखने को मिलेगा।

केन्द्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि हरियाणा गठन के 50 वर्षों में लोकसभा सचिवालय द्वारा विधानसभा में इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कभी नहीं हुआ। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि 17वीं लोकसभा के नये सदस्यों को उन्होंने सदन में बोलने का पर्याप्त समय दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में शून्यकाल में केवल 20 सदस्यों को ही बोलने की अनुमति होती है। परंतु श्री बिड़ला ने 162 नये सदस्यों को बोलने का समय देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने उपस्थित विधायकों से अनुरोध कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्धारित सतत विकास कार्यक्रमों के अनुरूप अपने-अपने क्षेत्रों में योजनाएं बनानी चाहिएं।

विपक्ष के नेता श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अपने सम्बोंधन में कहा कि नवनिर्वाचित 44 विधायकों के लिए यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे सदन चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा, जनतंत्र के प्रहरी होते हैं। तर्क-वितर्क के लिए पक्ष-विपक्ष के अलग मुद्दे होते हैं, परंतु देश हित में कोई बात होती है तो दोनों सदनों को प्रजातंत्र प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक होकर आगे बढऩा चाहिए।

विधानसभा उपाध्यक्ष श्री रणवीर गंगवा ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपना अमूल्य सम्बोधन देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला के साथ-साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल व उप मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला व नेता प्रतिपक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों का विशेष धन्यवाद भी किया।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष व अन्य उपस्थित अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर सम्मानित किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में विधानसभा सदस्यों के अलावा सांसद श्री धर्मबीर सिंह, डॉ० अरविन्द शर्मा, श्री बृजेन्द्र सिंह, श्री नायब सिंह सैनी, श्रीमती सुनीता दुग्गल, राज्यसभा सांसद डॉ० डी.पी.वत्स, उतर प्रदेश विधानसभा परिषद के सदस्य श्री संजय लाठर भी उपस्थित थे।