शनिवार, February 1, 2020

चण्डीगढ़, 1 फरवरी- भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आर्थिक आत्म निर्भरता में सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेला जैसे मेलों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि हमें ‘उज्ज्वल कल के लिए लोकल’ के मूल मंत्र को अपनाना चाहिए, क्योंकि स्थानीय उत्पाद को प्राथमिकता देने से क्षेत्र के शिल्पकारों और लघु उद्यमियों को बहुत लाभ होगा।

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद आज फरीदाबाद के सूरजकुंड में 34वें अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले का शुभारम्भ करने के उपरांत लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद, हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे।

सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेला, 2020 में पहुंचने वाले सभी देशों और भारत के विभिन्न राज्यों से आए हस्तशिल्पियों एवं कलाकारों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि भारत त्यौहारों व मेलों का देश है। सूरकुंड का यह मेला भारत के लोगों के कला-कौशल, प्रतिभा और उद्यमशीलता के प्रदर्शन का एक स्थापित मंच बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैने कल संसद के बजट सत्र के शुभारंभ पर दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘उज्ज्वल कल के लिए लोकल’ का मूल मंत्र हमें अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद में दिए गए अपने इस आग्रह को मैं पुन: दोहराता हूं कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, देश के प्रत्येक जनप्रतिनिधि को और सभी राज्य सरकारों द्वारा ‘उज्ज्वल कल के लिए लोकल’ को एक आंदोलन में परिवर्तित किया जाए। स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर हम सभी अपने क्षेत्र के शिल्पकारों तथा लघु उद्यमियों की बहुत बड़ी मदद दे सकते हैं।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि वर्ष 1987 में इस मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। आज यह मेला विलुप्त हो रहे हस्तशिल्प और हथकरघा की विशेष कला-विधाओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने तथा कारीगरों को उनके काम को प्रदर्शित करने के लिए उचित मंच प्रदान कर रहा है। पिछले तैतीस वर्षों से निरन्तर, इस मेले में आगंतुकों और शिल्पकारों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस मेले की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि यह मेला वास्तव में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की विविधता को उपयोगी व रोचक तरीके से प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि यह मेला केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत का जिक्र करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि इस मेले में शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों के पहनावों, लोक-कलाओं, लोक-व्यंजनों, लोक-संगीत और लोक-नृत्यों का भी संगम होता है। उन्होंने कहा कि इस मेले में भारत के गांवों की खुशबू और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा के विविध रंग, यहां आने वालों को हमेशा आकर्षित करते रहेंगे।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि हर वर्ष मेले में भारत का कोई एक राज्य थीम स्टेट और कोई एक देश ‘पार्टनर नेशन’ होता है। किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला, संस्कृति, सामाजिक परिवेश और परंपराओं को यहां प्रदर्शित किया जाता है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश थीम स्टेट और उज्बेकिस्तान ‘पार्टनर नेशन’ है। इस मेले में देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक कला को विशेष रुप से दर्शाया जा रहा है।

वहीं पाटर्नर देश उज्बेकिस्तान के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भौगोलिक सीमा नहीं मिलती लेकिन हमारे बीच दिलों के रिश्ते हमेशा से रहे हैं और आशा है कि भविष्य में भी यह और अधिक सुदृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि यह मेला भारत व उज्बेकिस्तान के लोगों के बीच संस्कृति, कला एवं कृषि के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी प्रस्तुत करेगा। थीम राज्य हिमाचल प्रदेश व हरियाणा के सूरजकुंड मेले को पर्यटकों को आकर्षित करने का मंच बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे त्योहारों और मेलों ने देश और विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया है। भारत के सभी त्योहार और मेले हमारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पारंपरिक उल्लास के प्रतीक तो हैं ही, इनका हमारी अर्थव्यवस्था से भी गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि ऐसे मेलों में शिल्पकारों और बुनकरों की उत्साही भागीदारी को देखकर साधारण शिल्पकारों और कारीगरों को भी अपने हुनर की वास्तविक पहचान और कीमत मिल पाती है। यह मेला उन्हें अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों को प्रदर्शित करने और बेचने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। इस मेले ने भारत की विभिन्न लुभावनी शिल्प परंपराओं को विलुप्त होने से भी बचाया है। अनेक शिल्पकारों, कारीगरों और बुनकरों के लिए यह मेला वर्ष भर की उनकी आय का प्रमुख स्रोत होता है।
मेले की विशेषता बताते हुए राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि यह मेला कई मायनों में अलग है। परांपरागत झोपड़ीनुमा दुकान ग्रामीण भारत को दर्शाती है। वहीं ग्राहकों द्वारा किया जा रहा डिजिटल पेमेंट नये भारत की एक तस्वीर प्रस्तुत करता है। उन्होंने मेला के मोबाइल एप्लिकेशन, अन्य डिजिटल प्लेटफार्म और ऑनलाइन टिकटिंग सुविधाओं की व्यवस्था की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष हम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती मना रहे है। देश और दुनिया में उनके अमूल्य विचारों को पहुंचाने का यह एक स्वर्णिम अवसर है। सूरजकुण्ड मेला को देखने लाखों लोग आयेंगे। स्वच्छता, खादी-उत्पादों और हथकरघा से बनी वस्तुओं के प्रसार के लिए हम गांधी जी के संदेश को इस मेले में आसानी से लाखों लोगों तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मेले आर्थिक आत्मनिर्भरता में भी योगदान देते हैं। हम सबको देश के शिल्पकारों द्वारा बनाई गई वस्तुओं पर गर्व करना होगा।

राष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों की मेले में नि:शुल्क प्रवेश की दी गई सुविधा के लिए मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इससे बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और युवा इस मेले को देखने आ सकेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से अल्प-संख्यक वर्ग के युवाओं, विशेषकर महिलाओं, को स्वावलंबी बनाने के लिए हुनर और रोजगार के अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उनमें से एक ‘हुनर हाट’ दस्तकारों, शिल्पकारों व खानसामों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने का एक मजबूत अभियान साबित हुआ है। देशभर में हुनर हाट के जरिए अल्पसंख्यक वर्ग के 2 लाख 65 हजार हुनरमंद कारीगरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। इस मेले की सफलता का उद्देश्य भी यही है। इस आयोजन के लिए राष्ट्रपति ने हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को बधाई देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर भी राज्य की प्रभावशाली प्रगति के लिए बधाई के हकदार हैं। इस वर्ष, इस मेले में, हिमाचल प्रदेश द्वारा दूसरी बार भागीदारी करना, इस मेले की उपयोगिता के साथ ही, हिमाचल प्रदेश की लोकप्रियता को भी रेखांकित करता है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने मेले के उद्घाटन अवसर पर पहुंचने के लिए राष्ट्रपति श्री कोविंद व प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद का हरियाणा की अढाई करोड़ जनता की और से अभिनंदन करते हुए कहा कि आज का स्थान, समय व अवसर अति महत्वपूर्ण हैं। बसंत ऋतु की महक से मेले की शुरूआत आज राष्ट्रपति द्वारा की गई है और उनके आने से यहां भरपूर रौनक देखते ही बनी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरजकुंड मेला वास्तव में हमारे वसुधैव कटुंबकम को चरितार्थ कर रहा है। यह लोक संस्कृति, वास्तुकला, शिल्पकला, दस्तकला व कलाकारों को एक साथ 15 दिन तक अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करेगा। इस बार 26 देश इस मेले में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की लोक संस्कृति को देश विदेशों में लोकप्रिय बनाने के लिए हमने भारतीय सांस्कृतिक परिषद नई दिल्ली के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा हमने राज्य के लिए सांस्कृतिक नीति कलश शुरू की है। इसका उद्देश्य हरियाणा की विभिन्न सांस्कृतिक विरासतों को सहेजकर रखना है। हरियाणा में हड़प्पा संस्कृति से जुड़ी विरासत भी मिली है जिन्हें संजो कर हम एक एटलस भी तैयार कर रहे हैं ताकि देश-विदेश के लोग कभी इनसे रूबरू हो सकें।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि स्वदेश दर्शन के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2015 में कृष्णा सर्किट के तहत धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के विकास व जीर्णोद्धार के लिए राशि उपलबध करवाई और तिरूपति बालाजी का मंदिर भी कुरुक्षेत्र में है जो उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला मंदिर है। इसके अलावा इसमें जीओ गीता के संग तथा ज्ञान मंदिर भी स्थापित किए गए हैं। हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री को भी हरियाणा सरकार तीर्थ स्थल के रूप में विकसित कर रही है। शिवालीक क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए कालका से कलेसर तक पर्यटन की योजनाएं चलाई जा रही हैं। ईको टूरिज्म व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फार्म टूरिज्म को बढ़ावा देने की भी योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में रखी टाइटेनियम धातु पर उकेरी गई गीता की विशेष प्रतिकृति को कुरुक्षेत्र में जीओ गीता केंद्र में रखने के लिए भेंट की है ताकि कुरुक्षेत्र आने वाले आगंतुक इस प्रति को विशेष रूप से देख सकें। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि मेले में आने वाले आगंतुक व देश-विदेश से आए शिल्पकार व कलाकार सुखद अनुभूति लेकर जाएंगे।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने सूरजकुंड मेले में 24 वर्षों बाद दूसरी बार हिमाचल प्रदेश को थीम राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का विशेष आभार जताया। उन्होंने कहा कि पड़ौसी राज्य होने के नाते सांस्कृतिक दृष्टि से हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में काफी समानताएं हैं। हस्तकलाओं व कलाओं को प्रदर्शित करने का अवसर हिमाचल प्रदेश के लोगों को मिला है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी देश विदेश के लोगों को आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भले ही छोटा राज्य हो परंतु यहां के लोगों का दिल छोटा नहीं है। यहीं हिमाचल की पर्यटन व संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों को और अधिक सुविधाएं मिलें इस दिशा में हम कार्य कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि गत दिनों हिमाचल सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जिसमें 36 देशों के निवेशकों ने हिस्सा लिया और लगभग 16 हजार करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। उन्होंने कहा कि शिमला, मनाली व धर्मशाला पहले ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जा चुके हैं। वाटर स्पोटर्स, ईको टूरिज्म की योजनाओं पर कार्य चल रहा है। हिमाचल प्रदेश के तीन हवाई अड्डों में से दो का विस्तार और एक नया हवाई अड्डा बनाने की भी योजना है। उन्होंने आशा व्यकत करते हुए कहा कि सूरजकुंड मेला भी हिमाचल प्रदेश के लिए संस्कृति व पर्यटन क्षेत्र को आगे बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में थीम नेशन उज्बेकिस्तान के राजदूत श्री रहाद आरएिव ने कहा कि भारत व उज्बेकिस्तान के लोग इतिहास व संस्कृति के माध्यम से वर्षों से जुड़े रहे हैं और शील्क रूट के माध्यम से भारत से व्यापारिक संबंध भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार हमें सूरजकुंड मेले में थीम नेशन बनने का सौभाग्य मिला है और दोनों देशों के लोगों को शिल्प व कला की दृष्टि से जोडऩे में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि मेले में उज्बेकिस्तान से 100 से अधिक शिल्पी व कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने मेले में भागीदारी देने के लिए भारत सरकार के विदेश, संस्कृति, पर्यटन मंत्रालयों के साथ-साथ हरियाणा सरकार का भी अपने देश की ओर से धन्यवाद किया।

पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री विजय वर्धन ने अपने स्वागत संबोधन में सूरजकुंड मेले के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1987 से आरंभ हुआ सूरजकुंड का यह क्राफ्ट मेला 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला घोषित किया गया था। उसके बाद हर वर्ष एक राज्य थीम स्टेट व एक देश थीम नेशन के रूप में भाग लेता है। उन्होंने कहा कि मेले में अनेक देशों शिल्पकार व कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। यूनाईटेड किंगडम पहली बार यहां अपनी सांस्कृतिक टीमें भेज रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति सुषमा का यह मंच कलाकारों को एक बेहतर अवसर प्रदान करता है।