चंडीगढ़, 28 फरवरी - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज कहा कि सरकार की किसानों को परम्परागत खेती के साथ-साथ फसल विविधिकरण के लिए भी प्रेरित कर रही है। इसी लिए बजट 2020-21 में बागबानी के लिए 492.82 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 1157.41 करोड़ रुपये और मत्स्य पालन के लिए 122.42 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने बागवानी क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में बागवानी के तहत वर्तमान के 8.17 प्रतिशत क्षेत्र को वर्ष 2030 तक दोगुना और बागवानी उत्पादन को बढ़ाकर तीन गुणा करने का लक्ष्य है। इसे और भी जल्दी पूरा करने के लिए बजट में कई नए प्रावधान किये गए हैं। बागवानी में प्रदर्शनकारी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सतत उत्पादन के लिए, दो और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से एक शुष्क भूमि बागवानी के लिए और दूसरा कटाई उपरान्त प्रबंधन के लिए है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए फसल समूह विकास कार्यक्रम लागू किया गया है। इसके अलावा, किसानों की उपज के बेहतर संग्रह और प्रत्यक्ष विपणन के लिए 75581 किसानों की सदस्यता वाले 409 किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है। वर्ष 2022 तक 1000 और नए किसान उत्पादक संगठन बनाये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बागवानी विभाग ने अम्बाला, यमुनानगर और पंचकूला में हल्दी की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक उपज वाली हल्दी की किस्मों की पहचान की है। वर्ष 2020-21 में किसान उत्पादक सगठनों को भी प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। टमाटर, प्याज, आलू, किन्नू, अमरूद, मशरूम, स्ट्राबेरी, अदरक, गोभी, मिर्च, बेबीकॉर्न, स्वीटकॉर्न की प्रोसेसिंग के लिए राज्य भर में चिह्निïत फसल समूहों में नई इकाइयां स्थापित की जाएंगी। वर्ष 2020-21 में किन्नू, अमरूद एवं आम के बागों के स्थापना खर्च के अनुदान को 16,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये प्रति एकड़ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए खाद्य सामग्री को पैकिंग व ब्रांडिंग के साथ बिक्री हेतु वीटा एवं हैफेड की तर्ज पर राज्य भर में चिह्निïत स्थानों पर 2000 आधुनिक बिक्री केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। इस काम को और बढ़ाने के लिए शीघ्र ही एक अलग संस्था भी खड़ी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पशुपालन एवं डेयरी के लिए बजट में 1157.41 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का देश के पशुधन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान है। पशुपालन गतिविधियां आय और रोजगार सृजन में अपना योगदान देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राज्य में पशुपालन एवं डेेयरी विभाग 2883 पशु चिकित्सा संस्थाओं के आधारभूत ढांचे के माध्यम से 89.98 लाख पशुधन को पशु चिकित्सा व पशु प्रजनन सुविधाएं प्रदान करवा रहा है। राज्य में गाय और भैसों को मुँह-खुर व गलघोटू रोग से मुक्त बनाने के लिए संयुक्त वैक्सीन प्रयोग करके सफलतापूर्वक कार्य किया गया है जिसके परिणामस्वरूप पिछले एक साल से इन बीमारियों का कोई मामला सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुधन सुरक्षा बीमा योजना’ के तहत 2.20 लाख पशुओं का बीमा किया गया है। हरियाणा पहला राज्य है जिसने पशुओं के कल्याण और आनुवांशिक सुधार तथा पशु प्रजनन गतिविधियों को विनियमित करने के लिए ‘हरियाणा पशु (पंजीकरण, प्रमाणन और प्रजनन) अधिनियम, 2019’ लागू किया है। राज्य के पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान की बेहतर सुविधायें उपलब्ध करवाने के लिए ‘‘राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम’’ राज्य के पांच जिलो में 16 सितम्बर,2019 से शुरू किया है और इसके अंतर्गत अब तक 76,000 कृत्रिम गर्भाधान किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बेसहारा पशुओं विशेष तौर पर विदेशी एवं संकर नसल के सांडो के खतरे से निपटने के लिए भी दृढ़ संकल्पित है। राज्य की गायों में कृत्रिम गर्भाधान हेतु सभी पशु संस्थाओं में सैक्स सोर्टिड सीमन उपलब्ध है जिससे 85-90 प्रतिशत मादा बच्चे ही पैदा होने की सम्भावना होती है। यह सैक्स सोर्टिड सीमन 850 रुपये प्रति स्ट्रा की दर से खरीदा गया है। वर्तमान में इसे पशुपालकों को 500 रुपये की दर से दिया जाता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में इस राशि को कम करके पशुपालकों को मात्र 200 रुपये प्रति स्ट्रा की रियायती दर पर प्रदान करने का फैसला लिया है।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास हेतु नाबार्ड की योजना के अंतर्गत 52 राजकीय पशु चिकित्सालयों व 115 राजकीय पशुधन औषधालयों के भवनों का निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 से ‘पशु संजीवनी सेवा’ के माध्यम से पशु स्वास्थ्य सेवायें पशुपालक के घर द्वार पर उपलब्ध करवाने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां भी आरम्भ की जाएंगी। उन्होंने कहा बजट में राज्य की गौशालाओं में बेसहारा पशुओं के नियंत्रण व आश्रय प्रदान करने के लिए प्रावधान को 30 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये किया है। यह राशि अब सरकार गौसेवा आयोग की संस्तुति पर उन गौशालाओं को वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान करेगी जो उस गौशाला की कुल गौवंश संख्या में से न्यूनतम एक-तिहाई भाग बेसहारा पशुओं को रखेगी। वर्ष 2020-21 से पशुपालन एवं डेयरी विभाग बेसहारा और घायल पशुओं को पहचान करके उन्हें पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने के बाद ऐसे पशुओं को गौशालाओं में पुर्नवासित करवाएगा। साथ ही जिन गौशालाओं में बेसहारा पशुओं के आवास के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है, उनको विकास एवं पंचायत विभाग गौचरान भूमि प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है इसलिए मत्स्य पालन के तहत क्षेत्र को वर्ष 2020-21 में 55,000 एकड़ करने तथा मत्स्य उत्पादन 2.60 लाख मीट्रिक टन का करने लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2020-21 में, खारे पानी के मत्स्य फार्म के तहत जल क्षेत्र को बढ़ाया जाएगा और दो बड़े पेल्लेट फीड मिल प्लांट और 10 छोटे फीड मिल प्लांट स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, प्रदेश में पहली बार 250-250 एकड़ क्षेत्रों में कैट फिश तथा पिलापिया कल्चर शुरू की जाएगी। इसके अतिरिक्त, गहन मत्स्य विकास कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालन के लिए सामुदायिक भूमि की खुदाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि खारे पानी मे झींगा पालन व जल भराव वाले क्षेत्रों में मछली पालन को बहुत बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। वर्ष 2020-21 में झींगा किसानों के लिए एक प्रॉन चिल्लिंग एण्ड प्रोसेसिंग सेंटर बनाया जाएगा एवं किसानों को कोल्ड चेन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इस प्रोसेसिंग केन्द्र की स्थापना से अन्तर्राष्ट्रीय व घरेलू बाजार में किसान अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि पंचकूला में टिक्करताल तथा यमुनानगर, करनाल और पानीपत में पश्चिमी यमुना नहर जैसे प्राकृतिक जलाशयों में घटती मछली प्रजातियों के संरक्षण से प्राकृतिक मछलियों के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया जाएगा। अभी दो राष्ट्रीय मत्स्य बीज फार्म तथा 13 राजकीय मत्स्य बीज फार्म नवीनतम तकनीकी के माध्यम से उत्तम किस्म का मछली बीज तैयार करके मत्स्य पालकों को न्यूनतम दरों पर उपलब्ध करवा रहे हैं। आगामी वित्त वर्ष में तीन मत्स्य बीज फार्मों का ढांचागत सुदृढ़ीकरण करवाया जाएगा तथा परम्परागत मछली पालन प्रजातियों से हटकर नई कैटफिश प्रजातियों का पालन आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जिला जींद, झज्जर, चरखी दादरी, रोहतक, सोनीपत, पलवल, नूंह, हिसार, फतेहाबाद तथा फरीदाबाद के जल भराव वाले क्षेत्र में मत्स्य पालन करवाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि आगामी वित्त वर्ष में लगभग 2500 एकड़ जलमग्न क्षेत्र को मत्स्य पालन के अधीन लाने के लिए बजट प्रावधान किया गया है।