चंडीगढ़, 28 फरवरी - पयेहरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने वर्ष 2020-21 में समाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के लिए 8770.18 करोड़ रुपये और अनूसुचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के लिए 519.34 करोड़ रु के आबंटन का प्रस्ताव करते हुए कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिये पूर्णत: वचनबद्ध है तथा इनके सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास हेतु विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के अंतर्गत लाभपात्रों को शादी से पहले या शादी के दिन ही योजना का लाभ देने के लिए इसका सरलीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता स्कीम नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के तहत सभी अनुसूचित जातियों के लोगों को उनके खिलाफ हुए विभिन्न उत्पीडऩों के विरूद्ध दर्ज मुकद्दमों की पैरवी करने के लिए कानूनी वित्तीय सहायता की राशि 11000 रुपये से बढ़ाकर 22000 रुपये की जाएगी। इस स्कीम के प्रचार-प्रसार के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों के लोकसभा सदस्यों द्वारा 10-10 तथा आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों के विधान सभा के सदस्यों की सहायता से 5-5 सैमीनार/जागरूकता अभियान आयोजित किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु आर्थिक सहायता योजना के अन्र्तगत अनुसूचित जाति एंव पिछड़े वर्ग के अभ्यार्थियों को प्रतिष्ठित/चयनित संस्थानों के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी एवं प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने के लिये एक लाख रुपये या 75 प्रतिशत (जो भी कम हो) का भुगतान किये जाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को उच्चतर शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षाओं व नौकरी के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने हेतु कोचिंग की सुविधा देने के लिये भी एक नई योजना का प्रस्ताव किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष हरियाणा के विद्यालयों में पढऩे वाले 5000 छात्रों को प्रतिष्ठित संस्थानों में कोचिंग हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज में रहने वाले बुजुर्गों, विधवाओं, नि:शक्तों, बेसहारा बच्चों व अन्य विशेष जरूरत वाले वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करके उनके उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा 28 लाख से अधिक लाभार्थियों को मासिक आधार पर पैंशन, भत्ता, वित्तीय सहायता इत्यादि प्रदान की जा रही है। सरकार के द्वारा वृद्वावस्था सम्मान भत्ता, विधवा एवं बेसहारा महिलाओं की पेंशन, दिव्यांग पेंशन, बौना भत्ता, किन्नर भत्ता, तथा लाडली पेंशन योजना के अन्तर्गत मासिक पेंशन की राशि जनवरी, 2020 से 2000 रुपये से बढ़ाकर 2250 रुपये कर दी गई है। इसीप्रकार, निराश्रित बच्चों की वित्तीय सहायता भी 1100 रुपये प्रति मास से बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति मास की गई है। स्कूल नहीं जाने वाले नि:शक्त बच्चों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता 1400 रुपये प्रति मास से बढ़ाकर 1650 रुपये प्रतिमास की गई है। ‘‘कश्मीरी प्रवासी परिवारों को वित्तीय सहायता’’ योजना के तहत 1000 रुपये प्रति मास प्रति सदस्य की राशि को बढ़ाकर 1250 रुपये प्रति मास प्रति सदस्य किया गया है, जिसकी अधिकतम सीमा 5000 रुपये प्रतिमास की बजाय अब 6250 रुपये प्रति परिवार की गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में सभी जिलों में गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर वृद्धाश्रम स्थापित किये जाएंगे।