चंडीगढ़, 28 फरवरी - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ‘जल जीवन मिशन’ योजना के तहत राज्य के सभी घरों में नल से पेयजल उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है जिसकी 50 प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा व शेष 50 प्रतिशत राशि हरियाणा सरकार द्वारा दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2020-21 में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के लिए 3591.27 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की घोषणा करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी घरों में पेयजल कनेक्शन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य 2024 तक रखा गया है, लेकिन हमने हरियाणा में इस कार्य को वर्ष 2022 में ही पूरा करने का लक्ष्य रखा है। हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 32.88 लाख घर हैं और वर्तमान में राज्य के कुल 17.58 लाख घरों में पेयजल कनेक्शन हैं। इस दिशा में हरियाणा राज्य देश मेें चौथे स्थान पर है। शेष 15.30 लाख घरों में से 6.50 लाख घरों को वर्ष 2020-21 में पेयजल कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना राज्य में पहली दिसम्बर, 2019 से शुरू की गई थी और 23 फरवरी, 2020 तक इस योजना के तहत 3.62 लाख पेयजल कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि ग्रामीण जल आपूर्ति बढ़ोतरी कार्यक्रम के अन्तर्गत गांवों में जल आपूर्ति का स्तर 55-70 लिटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तक बढाऩे के लिए मौजूदा जल आपूर्ति सुविधाओं का सुधार एवं मजबूतीकरण किया जाएगा। गांवों में अतिरिक्त नलकूप लगाकर, मौजूदा नहर आधारित योजनाओं की बढ़ोतरी, नहर आधारित नए जलघर बनाकर, बुस्टिंग स्टेशनों का निर्माण करके, मौजूदा वितरण प्रणाली को मजबूत बनाकर सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नलकूप आधारित जल आपूर्ति योजना में अगर यह पाया जाता है कि भूजल की गुणवता खराब हो गई है, तब या तो किसी दूसरे भूजल आधारित स्रोतों की व्यवस्था की जाती है या सतही आधारित जल आपूर्ति योजना बना दी जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनओं की बढ़ोतरी के क्रियान्वन में तेजी लाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं के अन्तर्गत नाबार्ड से भी धनराशि ली जा रही है। इस समय 954.92 करोड़ रुपये की लागत से जिला रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, जीन्द और नूंह में नाबार्ड द्वारा अनुमोदित की गई 12 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि गांवों में 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से जल आपूर्ति बढाने तथा सीवरेज व्यवस्था बिछाने के लिए शुरू की गई महाग्राम योजना अब तक 128 गाँव चिह्नित किए गए हैं। प्रथम चरण के 20 गाँवों का कार्य 31 मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा, दूसरे चरण में 37 गाँवों का कार्य 31 दिसम्बर 2023 तक व अंतिम तीसरे चरण में शेष 71 गावों का कार्य 31 दिसम्बर 2024 तक पूरा कर दिया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में भी सरकार 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के हिसाब से पानी पहुंचाने के लिये दृढ-संकल्प है। राज्य के 87 शहरों, जिनकी देख-रेख जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कर रहा है, उन सभी शहरों में पेयजल सुविधा प्रदान की जा चुकी है। जनसंख्या बढ़ोतरी के कारण विकसित हुई घरौंडा, निसिंग, तरावड़ी व समालखा की सभी नई कॉलोनियों में पेयजल सुविधा प्रदान करने का कार्य चल रहा है जो इसी वर्ष में पूर्ण कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कुल 87 शहरों में से, 78 शहरों में 75 प्रतिशत से ज्यादा सीवर लाईन के कार्य पूर्ण हो चुके हैं तथा शेष नौ शहरों में से, भूना, बराड़ा, इस्माईलाबाद व सढ़ौरा में सीवर लाइन लगाने का कार्य प्रगति पर है। बास, नांगल चौधरी, राजौंद, जाखल व सिसाय कसबों में सीवर लाइन लगाने का कार्य वित्त वर्ष 2020-21 में शुरू किया जायेगा। इसके अतिरिक्त, सीवरेज लाइन लगाने का कार्य कालांवाली, मण्डी डबवाली, नारायणगढ़, पिंजौर, रतिया, सिरसा, नीलोखेड़ी, निसिंग, इस्माईलाबाद, गोहाना, तारावड़ी, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना, हसनपुर, होडल तथा घरौंडा में भी चल रहा है, जो इसी वर्ष पूर्ण कर लिया जायेगा। वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 100 किलोमीटर नई सीवर लाइन लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि अब तक 80 शहरों मे 124 सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कार्य सरकार द्वारा किया गया है। एक नया सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट भूना में जून, 2020 तक स्थापित कर दिया जायेगा व शेष 6 शहरों नामत: नांगल चौधरी, राजौन्द, इस्माईलाबाद, सिसाय, बास व सढ़ौरा में परिशोधन सयंत्र लगाने का कार्य आगामी वित वर्ष 2020-21 मे शुरू किया जायेगा। इन्द्री, पलवल व युमनानगर में मौजूदा सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट की जगह नये सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाये जाएंगे तथा इसके अलावा कैथल, पून्डरी, ऐलनाबाद, फतेहाबाद, रतिया, टोहाना, सिरसा, रोहतक, तोशाम, असंध व सिवानी के मौजुदा सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट का उन्नयन किया जायेगा। सरकार ने उपचारित अपशिष्ट जल का गैर-पेयजल के रुप में इस्तेमाल करने के लिये नीति बनाई है। उपचारित अपशिष्ट जल का मुख्यत: पावर प्लांट, उद्योगों, सिंचाई व नगर पालिकाओं द्वारा गैर पेयजल कार्य हेतु प्रयोग किया जाएगा। वर्ष 2022 तक 25 प्रतिशत उपचारित अपशिष्ट जल को इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही, 30 साल पुरानी पेयजल की लाइनों को चरणबद्ध तरीके से बदला जाएगा । उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्लांनिंग बोर्ड के तहत गन्नौर, सोहना, बेरी, झज्जर, कलानौर, संापला, खरखौदा, होडल व समालखा में सीवरेज लाइन डालने व सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट के उन्नयन व नवीनीकरण इत्यादि के कार्य वर्ष 2020-21 में किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बरसाती पानी की निकासी हेतु अम्बाला शहर, अम्बाला सदर, भिवानी, सिवानी, बेरी, झज्जर, पूंडरी, होडल, पलवल, रेवाड़ी, रोहतक व गन्नौर शहरों मेें कार्य चल रहे हैं, जिनको इसी वर्ष 2020-21 में पूर्ण कर लिया जायेगा। हिसार व रोहतक शहर के लिये नये कार्य वर्ष 2020-21 में शुरू किये जायेंगे। उन्होंनेे कहा कि घग्गर नदी विभिन्न औद्यौगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित रसायनों एवं शहरी व ग्रामीण मल-जल से दूषित हो रही है, जिससे हेपेटाईटस व कैंसर जेसी घातक बीमारियां फैल रही हैं। इस समस्या के निवारण हेतु इस क्षेत्र में बहने वाली विभिन्न छोटी नदियों व नालों के शु़द्धिकरण एवं संरक्षण की नई योजना बनाई जा रही है।