चंडीगढ़, 18 अप्रैल- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कोरोना से उत्पन्न संकट की घड़ी में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में पढऩे वाले लाखों छात्रों के मनोबल को बढ़ाते हुए, आज छात्रों से 3एस- स्टे एट होम, स्कूल एट होम और स्टडी एट होम का अनुसरण करने का आग्रह किया है। उन्होंने छात्रों से विभिन्न ई-लर्निंग प्लेटफार्मों के माध्यम से सीखने के लिए अपने अधिकतम समय का उपयोग करने का भी आग्रह किया, जो उन्हें घर पर रहकर ही अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद करेंगे।
मुख्यमंत्री आज यहां ‘हरियाणा आज’ कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के लोगों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आज के कार्यक्रम को छात्रों और शिक्षकों को समर्पित करते हुए कहा कि जब से लॉकडाउन की घोषणा हुई थी, तब से कोरोना से उत्पन्न अनिश्चितता का स्कूल और कॉलेज के छात्रों पर बहुत प्रभाव पड़ा है, क्योंकि ये सभी कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो पाए।
उन्होंने कहा कि 18 मार्च को प्रदेश में चल रही स्कूलों की वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया और 19 मार्च को सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया। स्कूल के बच्चों का अगला शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल को शुरू होता है। बाकि परीक्षाएं होंगी या नहीं, अगली कक्षा में दाखिला कब मिलेगा, इन अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए हमने पहली कक्षा से ग्यारवीं कक्षा तक पढऩे वाले सभी विधार्थियों को जितनी परीक्षाएं 18 मार्च तक हुई थी, उन्हीं के परिणाम के आधार पर अगली कक्षाओं में दाखिला देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए 15 अप्रैल से 52 लाख विधार्थियों की नई कक्षाएं डिस्टेंस एजुकेशन कार्यक्रम के तहत केबल और डीटीएच चैनलों के माध्यम से शुरू कर दी गई हैं।
उन्होंने कहा कि 12वीं के विद्यार्थियों की परीक्षाओं को लेकर सीबीएसई द्वारा परिणाम की तिथि अभी तक घोषित नहीं हुई है। अन्य प्रतियोगी परिक्षाएं जैसे एनडीए, जेईई, नीट जो कि अप्रैल और मई में होनी थी, अब ऐसे परिक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे छात्रों के लिए सुनहरा अवसर है, क्योंकि उन्हें परीक्षा के लिए तैयारी करने के लिए और अधिक समय मिल गया है।
उन्होंने कहा कि 10वीं कक्षा के बाद लगभग 60 से 70 हजार विद्यार्थी प्रदेश के 172 सरकारी और 246 प्राइवेट आईटीआई में जुलाई माह में दाखिला लेते हैं। गत 24 मार्च को प्रदेश के सभी आईटीआई को बंद करने के बाद सैद्धांतिक थ्यूरी विषयों की पढाई तो फोन और ई-लर्निंग से करवाई जा रही है परन्तु प्रैक्टिकल विषयों की पढ़ाई लॉकडाउन की समाप्ति के बाद शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आईटीआई में कुल 81 ट्रेड में 30/35 ऐसे हैं, जिनमें 10वीं में गणित और विज्ञान की परीक्षा उत्तीर्ण होने की शर्त होती है। चूंकि 10वीं कक्षा की विज्ञान की परीक्षा अभी नहीं हुई है, इसलिए हम विचार कर रहे हैं कि यदि 10वीं की विज्ञान की परीक्षा लेने में ज्यादा समय लग जाए तो ऐसे ट्रेड में बिना विज्ञान की परीक्षा के ही अस्थाई (प्रॉविजऩल) रूप से दाखिला दे दिया जाए। इस बारे में शीघ्र ही अतिंम निर्णय ले लिया जाएगा। इसी प्रकार, ऐसा विचार उन विद्यार्थीयों के बारे में भी कर रहे हैं जो 10वीं कक्षा के बाद पोलीटेक्निक में ऐसे ट्रेड में डिप्लोमा के लिए दाखिला लेना चाहते हैं जिनमें गणित और विज्ञान दोनों विषय उत्तीर्ण होने की शर्त होती है।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों से आग्रह किया था कि वे दाखिले के समय ली जाने वाली 3 महीने की एडवांस फीस की बजाय केवल एक महीने की फीस लें । इसके अलावा, शिक्षा विभाग के अध्यापकों द्वारा मिड-डे-मील के तहत अप्रैल माह का सूखा राशन घर-घर जाकर बच्चों को बाँटा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कुछ शिक्षकों, प्रोफेसर और एक छात्र के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। बातचीत के दौरान शिक्षकों ने बताया कि छात्रों के लिए स्मार्ट फोन, और तकनीकों जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, पीडीएफ और यूट्यूब लिंक के माध्यम से लाइव क्लासेस, ऑनलाइन वर्कशीट, दैनिक टिप्स दिए जा रहे हैं और जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, उनसे टेलीफोन द्वारा सहायता दी जा रही है।
नूंह से कॉलेज प्रोफेसर नम्रता ने बताया कि जब से कॉलेजों को कोरोना के कारण एहतियात के तौर पर बंद किया गया था, तब से सभी शिक्षकों ने डिजिटल रूप से कक्षाएं लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, उन्होंने कक्षा वार और विषयवार व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं जिसमें अध्ययन सामग्री यू-टयूब लिंक, पीडीएफ फाइलों के माध्यम से सांझा की जाती है। उन्होंने बताया कि अध्ययन सामग्री शिक्षा सेतु एप पर भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि छात्रों को दैनिक असाइनमेंट और टेस्ट भी दिए जाते हैं।
सफीदों से एक जेबीटी शिक्षक रमेश कुमार ने बताया कि अपने स्कूल के शिक्षकों के समर्पित प्रयासों और सहयोग से, वे अपने क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 265 छात्रों को मिड डे मील के रूप में सूखा राशन वितरित करने में सक्षम हो पाए। उन्होंने बताया कि हर परिवार ने संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा उनकी मदद करने के लिए किए जा रहे समर्पित प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
एक अन्य जेबीटी शिक्षक सुनील दत्त ने बताया कि पुस्तकों की कमी को पूरा करने के लिए, शिक्षकों द्वारा बड़ी कक्षाओं में पढऩे वाले विद्यार्थियों से उनकी पुरानी पुस्तकें छोटी कक्षा में पढऩे वाले छात्रों के साथ आदान-प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक प्राथमिक कक्षाओं में पढऩे वाले कुछ छात्रों को पुरानी किताबें मिल चुकी हैं और बाकी छात्रों को भी किताबें मुहैया कराने के प्रयास जारी हैं।
सरकारी नेशनल कॉलेज, सिरसा के जीव विज्ञान के प्रोफेसर विवेक गोयल ने बताया कि लॉकडाउन के दूसरे चरण की घोषणा के बाद ई-लर्निंग टूल का उपयोग करते हुए 15 से अधिक बार छात्रों के साथ बातचीत की है। उन्होंने बताया कि यू-टयूब लिंक, व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से छात्रों के प्रश्नों को हल करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, उन्हें व्यक्तिगत रूप से कॉल किया जा रहा है।
यमुनानगर के एक छात्र साहिल कंबोज ने बताया कि वह और उसके परिवार के सदस्य लॉकडाउन मानदंडों का पूर्ण रूप से पालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड किया है, जिसने उन्हें कोरोना के खिलाफ लड़ाई लडऩे के लिए प्रेरणा दी है क्योंकि ऐप कोविड-19 के बारे में नवीनतम जानकारी से अपडेट रखता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की लड़ाई में, हमें न तो डरना है, न हारना है, बल्कि हमें कोरोना को हराना है। कोरोना हरियाणा से हारेगा और भारत से भागेगा।