शुक्रवार, April 24, 2020

चंडीगढ़, 24 अप्रैल- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित करने की दिशा में धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर किसानों को कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें अपनाने के लिए चलाए गए ‘जल ही जीवन है’ अभियान को और अधिक गति प्रदान करने के मद्देनजर आज प्रदेश के किसानों नेताओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे इस अभियान को एक आंदोलन के रूप में चलाकर किसानों को धान के स्थान पर मक्का, अरहर, ग्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) व अन्य फसलों की बुआई करने के लिए प्रेरित करें।

मुख्यमंत्री ने यह आह्वïान आज यहां चंडीगढ़ से विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न किसान संघों के नेताओं से बातचीत करने के दौरान किया।

मुख्यमंत्री ने विडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान इस अभियान को सफल बनाने के लिए कई किसान नेताओं द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों का स्वागत करते हुए इन्हें भविष्य की योजनाओं में शामिल करने का आश्वासन देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक श्री विजय दहिया को निर्देश भी दिए कि जिन किसान नेताओं द्वारा सुझाव दिए गए हैं, उनको शीघ्र ही कृषि निदेशालय में बुलाकर पूरी जानकारी लें तथा 15 दिनों के अंदर-अंदर जल संरक्षण की नई योजनाएं तैयार करें। इसी प्रकार, भू-जल रिचार्ज के लिए खेतों व तालाबों में बोरवैल की एक समेकित योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए। इसके अलावा, फरीदाबाद जिले के मंझावली के प्रगतिशील किसान मुकेश यादव के दिए गए सुझाव कि जिन-जिन जिलों में प्रगतिशील किसानों ने अपनी खेती को एक मॉडल के रूप में विकसित किया है, वहां का दौरा अन्य किसानों को भी करवाया जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिलें में 50 से 100 किसानों की एक सूची तैयार की जाए और प्रगतिशील किसानों के मॉडल का अवलोकन करें तथा वे स्वयं भी इसे अपनाकर अपनी आय में वृद्धि करें।

मुख्यमंत्री ने इस बात की भी जानकारी दी कि पिछले वर्ष हरियाणा ने धान बाहुल्य जिलों में 50,000 हैक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल के स्थान पर मक्का, अरहर व अन्य फसलों उगाने के लिए ‘फसल विविधीकरण पायलट योजना’ की शुरूआत कर देश के समक्ष ‘जल ही जीवन है’ का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया था और अब इस योजना का विस्तार करके इसे 1,00,000 हैक्टेयर क्षेत्र किया गया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि अब किसान नेता भी इस पहल के लिए आगे आएं ताकि हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित कर सकें।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि सबको यह संदेश देना होगा कि पानी बचाना है तो धान नहीं लगाना है बल्कि धान के स्थान पर इसके बराबर आमदनी वाली फसलें उगानी हैं। मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि जिस प्रकार सरकार ने सरसों व बाजरे की खरीद की है, उसी प्रकार धान के स्थान पर उगाई गई मक्का का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। उन्होंने यह भी अवगत करवाया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है, जो किसानों से सम्बंधित मुद्दों का समाधान कर रही है।

मुख्यमंत्री ने विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 16 किसान नेताओं से सीधा संवाद करते हुए अपील की कि वे किसानों को धान की बुआई कम करने का मन बनाने के प्रति प्रेरित करें तथा सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का लाभ उठाएं और इसमें अपना सहयोग दें। किसान नेताओं ने मुख्यमंत्री की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि आज हमें प्रदेश में ऐसा मुख्यमंत्री देखने को मिला है जिसने खेती व जल बचाने की बात सोची और यदि खेत व जल बचेगा तो किसान निश्चित रूप से ज्यादा समृद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने चरखी दादरी जिले की ग्राम पंचायत पैंतावास कलां का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर अपने गांव में धान की फसल न बोने का संकल्प लिया है जोकि किसी भी पंचायत के लिए एक बड़ी सोच है। उन्होंने कहा कि डार्क जोन, दिन-प्रतिदिन गिरता भू-जल तथा भू-जल का अत्यधिक दोहन हमारे लिए चुनौती बन गए हैं और आने वाली पीढिय़ों के लिए इन्हीं चुनौतियों का समाधान निकालने की हमने शुरूआत की है। इससे पानी के साथ-साथ बिजली की बचत होगी।

मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं से अपील की है कि जिन पंचायतों ने पंचायती जमीन ठेके पर दी है उन पट्टïेदारों से भी अपील करें कि वे धान के स्थान पर मक्का, अरहर व अन्य फसलों की ही बुआई करें और सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘जल ही जीवन है’ अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि किसानों को यह बात समझनी चाहिए कि एक किलोग्राम चावल उगाने पर 3000 से 5000 लीटर पानी की खपत होती है और विभाग द्वारा पानी की इस खपत को कम करने के लिए यह योजना शुरू की है। इसके अलावा, कुछ किसान नेताओं ने सुझाव भी दिया कि कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूर उपलब्ध नहीं होंगे और इसलिए इस बार धान की रोपाई में परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।

बैठक में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को इस बात की भी जानकारी दी गई कि गेहूं की फसल की कटाई के बाद धान की बजाय कुछ जिलों में किसान ढैंचा भी लगाते हैं, जो चारे के साथ-साथ हरी खाद का काम करता है, क्योंकि किसान कुछ समय बाद इसकी खेत में जुताई कर देता है और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है। मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि विभाग द्वारा हरियाणा बीज निगम के माध्यम से 29000 क्विंटल ढैंचा के बीज की उपलब्धता करवाई गई है।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अवधि के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर सरसों व गेहूं की खरीद प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से चलाने के लिए किये गए व्यापक प्रबन्धों के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए किसान नेताओं ने मांग की कि गेहूं के लिए 27 अप्रैल तक ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोटर्ल पर पंजीकरण जारी है, परंतु सरल केन्द्रों व मंडियों में किसानों को पंजीकरण के लिए समस्या आ रही है। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पंजीकरण के लिए लैपटॉप व डोंगल के साथ स्टार्टअप चलाने वाले युवाओं को गांवों में ही पंजीकरण के लिए तुरंत भिजवाना सुनिश्चित करें। इसी प्रकार, किसान नेताओं द्वारा मंडियों में किसानों को सरसों की नमी जांच करवाने में आ रही समस्या की जानकारी देने पर मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पंचायतें अपने स्तर पर नमी जांचने वाला मीटर खरीद लें ताकि मंडी में जाने से पहले ही किसान सरसों की नमी की जांच करवालें और अधिकारी इसके लिए संभावनाएं तलाशें।

मुख्यमंत्री ने जिन किसान नेताओं से विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात की उनमें भारतीय किसान यूनियन के रतन सिंह मान, करनाल के साहिब सिंह, सुरेन्द्र सिंह व राजकुमार, कैथल के महेन्द्र सिंह रसीना, कुरुक्षेत्र के हरजिन्द्र सिंह, हिसार के मनोज कुमार व राम भगत, भिवानी के सुरेश कुमार व श्रीमती सुनीता, फरीदाबाद के मुकेश यादव, सिरसा के कमलेश नैन, रोहतक के महेन्द्र सिंह, सोनीपत से भारतीय मजदूर किसान संघ के वीरेन्द्र, पानीपत के जसबीर मलिक, जींद के रामपाल कंडेला तथा यमुनानगर के विजय मेहता शामिल थे।

विडियो कान्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी.उमाशंकर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, श्री संजीव कौशल व महानिदेशक श्री विजय दहिया के अलावा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।