रविवार, May 31, 2020

चंडीगढ़ , 31 मई -हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि किसान धान की फसल लगाने की बजाए भूजल संरक्षण के दृष्टिïगत मक्का, तिलहन इत्यादि फसलों को लगाकर आने वाली पीढिय़ों के लिए विरासत में जलयुक्त भूमि देने का मार्ग प्रशस्त करें। 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना हरियाणा सरकार द्वारा इसी संदर्भ में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम हंै, जिसमें आम किसान स्वेच्छा से धान को त्यागकर दूसरी फसलें लेने के साथ-साथ हरियाणा सरकार से 7000 रूपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि लेने का हकदार भी होगा।

मुख्यमंत्री आज कैथल में तीन विकास खंडों गुहला, सीवन तथा कुरूक्षेत्र जिला के ईस्माइलाबाद से आए किसानों से इस योजना के क्रियान्वन को लेकर रूबरू थे। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा, खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सैनी, पर्यटन निगम के चेयरमैन रणधीर गोलन, विधायक लीला राम, विधायक ईश्वर सिंह आदि मौजूद रहे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कैथल जिला के 2033 किसानों ने अब तक करीब 4500 एकड़ भूमि में धान की बजाए, वैकल्पिक फसलें लगाने की सहमति व्यक्त की है। सामाजिक दूरी बनाकर मास्क लगाकर बैठे हुए इन किसानों ने जहां मेरा पानी मेरी विरासत योजना को एक महत्वपूर्ण कदम बताया वहीं मुख्यमंत्री ने इस योजना से जुड़ी कुछ शंकाओं को भी दूर किया। मुख्यमंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की ये सरकार राजनीतिक तौर पर न सोचकर इससे आगे की बात सोचती है ताकि आने वाले समय में प्राकृतिक वातावरण किसानों के लिए लम्बे समय तक बना रहे। उन्होंने कहा कि पानी का संकट गहरा है, कहीं पानी कम है तो कहीं ज्यादा है, कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। वातावरण के संतुलन व पेयजल के साथ सिंचाई हेतु भी पानी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि पानी का कुशल प्रबंधन ही आने वाली फसलों को पानी युक्त भूमि विरासत में दे पाए, इसके लिए कम पानी में फसलों को लेना सबसे बड़ी पहल है और इसके लिए फव्वारा, टपका सिंचाई की तरफ भी प्रदेश आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि गुमथला गढू में शुरू की गई एक परियोजना से फव्वारा सिंचाई के माध्यम से जो धान पैदा हुआ है वह आम तौर पर लगाए जाने वाले धान से कम नहीं है। इस बात पर पिहोवा क्षेत्र से आए किसानों ने भी सहमति व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष जल ही जीवन योजना शुरू करने में कुछ बिलम्ब हुआ। इस वर्ष मेरा पानी मेरी विरासत योजना के संदर्भ में अपै्रल मास में ही इसे कार्य रूप देना प्रारम्भ कर दिया गया था ताकि किसान अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए सूखी जमीन छोडक़र न जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 से भूजल स्तर निरन्तर नीचे जा रहा है और किसान को हर वर्ष बोर में नई पाईप डालनी पड़ती है। इस प्रकार पिछले दस साल में पानी 100 फुट नीचे चला गया है। संकट और न गहराए इसलिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना के माध्यम से किसानों से अपील की गई है वे स्वेच्छा से जल बचाने की तरफ कदम बढ़ाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत चिन्हित आठ खंडो में जिनका भूजल स्तर 40 मीटर व उससे अधिक है, वहां के किसानों को पचास प्रतिशत वैकल्पिक फसलें लगाने की सलाह दी है । किसानो को मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल की खेती धान के क्षेत्र में लगाने को कहा । दूसरी फसल लगाने के लिए किसानों को 7000 रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। दो ऐकड़ से कम भूमि वाले किसान अपनी इच्छा से कोई भी फसल लगा सकते है । उन्होंने कहा कि वैकल्पिक फसल उगाने पर ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत 85 प्रतिशत अनुदान राशि की भी व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास व दाल उगाने पर फसल का बीमा सरकारी खर्च पर होगा और न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी भी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में किसान यदि चारे की बुआई करता है तो उसको प्रदेश सरकार खरीदेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा पिछले तीन साल में बाजरे व सरसों का एक-एक दाना खरीदा गया है। उन्होंने दोहराया कि मक्का लगाने वाले किसानों की शत-प्रतिशत खरीद सरकार करेगी।उन्होंने ये भी कहा कि धान की जगह वैकल्पिक फसलें लगाने वालों को 7 हजार रूपए प्रति एकड़ मिलने के साथ-साथ प्रधानमंत्री फसल योजना का लाभ भी मिलेगा । उन्होंने कहा कि जो किसान सहमत हो, वह तुरन्त अपनी पंजीकरण करवा दें। फसल बोने के वक्त पहली किस्त के तौर पर 2 हजार रूपए तथा बाद में 5 हजार रूपए की राशि प्रदान की जाएगी। इन चिन्हित आठ खंडो के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डी.एस. आर. माध्यम से धान के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि डी॰एस॰आर॰ के माध्यम से धान की बुवाई में पानी की पर्याप्त बचत होती है । साथ ही मुख्यमंत्री ने आठ बलोकों के अलावा प्रदेश में भूजल स्तर की गिरावट की रोकथाम के लिये प्रदेश के सभी किसानो से धान के अलावा अन्य वैकल्पिक फ़सले लगाने की अपील की ।