चंडीगढ़, 9 जून- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले 12 साल में प्रदेश में भूमिगत जलस्तर दोगुनी गहराई पर जा चुका है जो बहुत गंभीर विषय है। कई क्षेत्रों में तो पानी 200 फुट से भी नीचे चला गया है। यदि समय रहते इस स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो भावी पीढिय़ां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। भूमिगत जलस्तर में सुधार के लिए सरकार ने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना शुरू की है जिसके तहत धान के स्थान पर अन्य फसलें बोने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने यह बात आज रतिया में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के संबंध में प्रगतिशील किसानों से सीधा संवाद करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने किसानों से सुझाव भी लिए और इन्हें अमल में लाने का भरोसा दिया। इसके उपरांत, उन्होंने मीडिया कर्मियों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए उनके सवालों के जवाब भी दिए।
किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार द्वारा एसवाईएल नहर व हांसी-बुटाना नहर में पानी लाने के गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, उत्तराखंड में लखवार डैम व रेणुका बांध परियोजना सहित अन्य माध्यमों से पानी लाने की योजना प्रगति पर है। लेकिन फिलहाल हमें अपने पास उपलब्ध पानी का उचित इस्तेमाल करने की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रति किलोग्राम धान पैदा करने पर 4000 से 5000 लीटर पानी खर्च होता है जो पानी की बर्बादी का एक बड़ा कारण है। पिछली सरकारों द्वारा इस ओर ध्यान न दिए जाने के कारण आज हालत यह हो गई है कि अनेक स्थानों पर भूमिगत जलस्तर 200 फुट से भी नीचे चला गया है।
उन्होंने कहा कि भूमिगत जलस्तर को बचाए रखने के लिए सरकार ने प्रदेश के उन क्षेत्रों में एक लाख हेक्टेयर भूमि पर धान के स्थान पर मक्का, कपास, दलहनी फसलें, बाजरा व फल-सब्जी आदि की फसलें उगाने का लक्ष्य रखा है। अब तक 42,000 किसानों ने 55 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान न बोने के लिए अपना पंजीकरण करवाया है। धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की काश्त करने वाले किसानों को सरकार द्वारा 7,000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि लेकिन किसान इन 7,000 रुपयों के लिए नहीं बल्कि भावी पीढिय़ों के लिए पानी बचाने के उद्देश्य से धान की फसल को छोडऩे का मन बनाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1760 रुपये से बढ़ाकर 1850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है जिसके चलते मक्का बोने वाले किसानों को प्रति एकड़ कम से कम 10500 रुपये का फायदा होगा तथा धान के स्थान पर बोए गए मक्के की फसल को खरीदने की गारंटी सरकार की होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के तीन खंडों, रतिया, शाहबाद व गुहला में 100-100 रिचार्ज बोर करवाए जाएंगे। इनके माध्यम से बरसाती पानी को जमीन में डाला जाएगा। प्रत्येक बोर पर डेढ़ लाख रुपये का खर्च होगा और एक बोर से लगभग 10 एकड़ भूमि के जलस्तर में सुधार किया जा सकेगा।