सोमवार, July 6, 2020

चंडीगढ़, 6 जुलाई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बाहरी विकास शुल्कों (ईडीसी) से संबंधित लंबी अवधि से लंबित बकाया की वसूली को सक्षम बनाने के लिए ‘समाधान से विकास’ नामक ‘एकमुस्त निपटान योजना’ को स्वीकृति प्रदान की गई। केन्द्रीय योजना ‘विवाद से विश्वास-2020’ के आधार पर यह योजना तैयार की गई है।

यह योजना ईडीसी की समस्त बकाया राशि के साथ-साथ ब्याज एवं जुर्माना ब्याज के लिए भी लागू होगी। मुख्यमंत्री-सह-वित्त मंत्री द्वारा 28 फरवरी, 2020 को राज्य बजट 2020-21 में यह घोषणा की गई थी।

यदि कोई कॉलोनाइजर इस योजना की अधिसूचना की तिथि से छ: महीने की अवधि के भीतर, संचित ब्याज और दंडात्मक ब्याज के 25 प्रतिशत के साथ-साथ ईडीसी के विरुद्ध बकाया मूल राशि का 100 प्रतिशत जमा करवाता है, तो संचित ब्याज और दंडात्मक ब्याज का शेष 75 प्रतिशत माफ कर दिया जाएगा।

यदि कोई कॉलोनाइजर इस योजना की अधिसूचना की तिथि से छ: महीने की अवधि के भीतर, संचित ब्याज और दंडात्मक ब्याज के 50 प्रतिशत के साथ-साथ ईडीसी के विरुद्ध बकाया मूल राशि का कम से कम 50 प्रतिशत जमा करवाता है, तो संचित ब्याज और दंडात्मक ब्याज का शेष 50 प्रतिशत माफ कर दिया जाएगा।

बकाया मूल राशि की शेष 50 प्रतिशत राशि विलंबित अवधि पर प्रति वर्ष आठ प्रतिशत की दर से ब्याज तथा डिफ़ॉल्ट अवधि पर प्रति वर्ष दो प्रतिशत की दर से अतिरिक्त ब्याज के साथ चार छमाही मासिक किस्तों में वसूल की जाएगी।

पहली किस्त जमा करवाने के लिए पहले छ: माह की अवधि 50 प्रतिशत मूल जमा 50 प्रतिशत ब्याज और दंडात्मक ब्याज घटक जमा करवाने की तिथि से शुरू होगी।

यदि कॉलोनाइजर उक्त दो वर्ष की अवधि के भीतर पूरे ईडीसी बकाया का भुगतान नहीं करता है, तो संचित ब्याज और दंडात्मक ब्याज की शेष 50 प्रतिशत की छूट निरस्त हो जाएगी और मूल ईडीसी अनुसूची प्रचलन में आ जाएगी। इस प्रकार, किस्त जमा करवाने के लिए निर्धारित दो वर्ष की अवधि के भीतर किस्तों के डिफ़ॉल्ट के मामले में कॉलोनाइजर पर कोई बड़ा जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। हालाँकि, यदि निर्धारित दो वर्ष की अवधि के भीतर ब्याज के साथ बकाया 50 प्रतिशत मूल राशि जमा नहीं करवाई जाती है तो कॉलोनाइजर इस नीति के तहत सभी लाभ गंवा देगा और वर्तमान नीति के लागू होने से पहले लागू मूल ईडीसी अनुसूची बहाल हो जाएगी और प्राप्त हुए सभी भुगतानों को मूल ईडीसी अनुसूची के विरुद्ध भुगतान किया गया माना जाएगा।