चंडीगढ़ 13 जुलाई - राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के तहत पहली अप्रैल, 2020 से 309 रुपये प्रतिदिन की उच्चतम मजदूरी दर देने वाला देश का पहला राज्य बनने के बाद हरियाणा ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस योजना के क्रियान्वयन में ग्रामीण विकास और अन्य सम्बन्धित विभागों को शामिल करके इस योजना के आकार को तीन गुणा कर दिया है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान एक करोड़ मानव दिवस सृजित करने के लक्ष्य के विरूद्घ राज्य नरेगा के तहत 45 लाख मावन दिवस सृजित कर चुका है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए आज यहां हुई राज्य स्तरीय दिशा कमेटी की बैठक में यह जानकारी दी गई। उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने बैठक की सह-अध्यक्षता की।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जनसाधारण की जानकारी के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर अनुज्ञेय नरेगा कार्यों की सूची अपलोड की जाए और विकास के लिए किए गए सभी महत्वपूर्ण व्यय भी ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर दिखाए जाएं।
स्वच्छता और ठोस कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लक्ष्य वाली गोबर-धन परियोजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला हिसार के गांव नयागांव की गोबर-धन परियोजना को राज्य के सभी जिलों में चलाया जाए।
बैठक में बताया गया कि राज्य तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा गोबर-धन योजना के तहत 7 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। जहां जिला हिसार के गांव नयागांव में गोबर-धन परियोजना कानिर्माण के उपरांत संचालन शुरू हो चुका है, वहीं जिला भिवानी, चरखी दादरी, सिरसा, फरीदाबाद और पानीपत में ऐसी परियोजनाओं का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने की सम्भावना है।
मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए कि छात्राओं को उनके स्नातक होने के बाद उनकी उपाधि के साथ ही उनके पासपोर्ट भी दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय किया गया है कि राज्य भर के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को ड्राइविंग लाइसेंस उनके शैक्षणिक संस्थानों में ही उपलब्ध कराए जाएंगे।
बैठक में बताया गया कि नरेगा में शतप्रतिशत धनराशि का वितरण डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है और राज्य में नरेगा श्रमिकों को आधार से जोडऩे का 98 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। चालू वर्ष के दौरान, कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में ग्रामीणों को राहत प्रदान करने के लिए कैटल शेड, बकरी पालन, सुअर पालन, खाद गड्ढे और कृमि खाद जैसे व्यक्तिगत कार्यों पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, पंचायती भूमि पर बागवानी, पारंपरिक तालाबों (जोहर) को चौड़ा करने, सांझा भूमि पर वनीकरण और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए वर्क शेड बनाने पर भी बल दिया जा रहा है।
बैठक में यह भी बताया गया कि दीन दयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजना के तहत 53 प्रतिशत प्रशिक्षित ग्रामीण युवाओं को रोजगार प्रदान किया गया है तथा परियोजना क्रियान्वयन एजेंसियों को और अधिक लक्ष्य प्रदान करके एवं नई-नई प्रतिष्ठित एजेंसियों को आमंत्रित करने के साथ-साथ ऑनलाइन रोजगार मेलों के माध्यम से इसे 70 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
यह भी बताया गया कि स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत, 1359 ठोस कचरा प्रबन्धन परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 737 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और 174 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इसी प्रकार, 1322 तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 552 ऐसी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 402 परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा, 380 ग्राम पंचायतों में घर-घर जाकर ठोस कचरे को एकत्रित करने, अलग-अलग करने, उठाने और निपटान करने का कार्य किया जा रहा है। 15 जिलों में यह कार्य विशिष्ट एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है और शेष सात जिलों में इसे ग्राम पंचायत द्वारा चलाया जा रहा है।
यह भी बताया गया कि वर्ष 2019-20 के लिए, शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में कक्षा एक से 8वीं तक के सभी विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित की गईं। वर्ष 2020-21 के लिए अब तक पाठ्य पुस्तकें वितरित करने का 98 प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका है।