गुरूवार, February 4, 2021

चण्डीगढ़, 4 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा है कि अंतोदय व सामाजिक समरसता हमारी सरकार का मूल मंत्र है और महर्षि वाल्मीकि जी की कल्पना भी राम राज्य है जिसको चरितार्थ करने के लिए देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें महर्षि बाल्मीकि जी की कल्पना के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर हैं।

मुख्यमंत्री ने यह बात गत दिवस देर सायं अपने निवास पर आए वाल्मीकि एवं मजहबी सिख समाज के एक शिष्टमंडल से भेंट वार्ता के दौरान कही। इस शिष्टमंडल की अगुवाई मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव श्री कृष्ण बेदी द्वारा की गई जबकि अध्यक्षता पंजाब के पूर्व विधायक सरदार इंद्र इकबाल सिंह अटवाल ने की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी की शिक्षाएं देश को विश्व शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। उन्होंने वाल्मीकी एवं मजहबी सिख समाज से हरियाणा के सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक मसलों पर चर्चा भी की।

इस भेंट वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने महर्षि वाल्मीकि अनुसंधान परिषद् द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘वाल्मीकिप्रशस्तिकाव्यम’’ का विमोचन भी किया। अनुसंधान परिषद् द्वारा प्रकाशित यह दूसरी पुस्तक है जो वाल्मीकी जी के जीवन दर्शन के बारे में आमजन को जानकारी देगी। वाल्मीकी जी ने रामायण और योगवाशिष्ठ जैसे आदर्श काव्य दिये हैं, जिन्हें साहित्य, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों का रतनाकर कहा जा सकता है।  महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर पुस्तकों के अभाव की पूर्ति के लिए महर्षि वाल्मीकि अनुसंधान परिषद् कई वर्षों से कार्यरत है।

इस अवसर पर शिष्टमंडल द्वारा हरियाणा के मुख्यमंत्री को शॉल व सरोपा भेंट करके सम्मानित भी किया गया। इस शिष्टमंडल में संत मनशाह जी महाराज, सेवा निवृत न्यायाधीश, पूर्व विधायक, हरियाणा सरकार में रहे प्रतिनिधि, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के प्रमुख लोग शामिल थे।

शिष्टमंडल में संत मनशाह जी महाराज के अलावा मुख्यरूप से विश्व हिंदू परिषद् के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन कुमार, सेवानिवृत न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार, श्री प्रकाश तंवर, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अनुसूचित जाति मोर्चा, भाजपा के पूर्व विधायक ईश्वर सिंह पलाका, फूल सिंह खेड़ी, सुमन बेदी, हरियाणा महिला आयोग के सदस्य सुभाष चंद्र, स्वच्छ भारत अभियान के उपाध्यक्ष श्री चंद्र प्रकाश बोसती, सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य तेजइंद्र सिंह, रघुमल भट्ट, यशवीर बेदी, जोगींद्र गोघडीपूर, प्राण रत्नाकर, धर्म सिंह, भारत भूषण टांक, शिव कुमार सिसला, दीपक लारा व संजीव घारू, डॉ विरेन्द्र व डॉ सुषमा अलंकार विशेष रूप से शामिल थे।