चंडीगढ़, 12 मार्च- हरियाणा सरकार ने लोकतांत्रिक शक्तियों का विकेन्द्रीकरण और पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग की सभी योजनाएं, उनके अमले के साथ जिला परिषदों को हस्तांतरित की हैं। इन योजनाओं में जिला ग्रामीण विकास एजेंसी, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, स्वर्ण जयंती खंड उत्थान योजना, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण आदि शामिल हैं। इसके अलावा, पीआरआई की कार्य प्रणाली को और अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने के लिए 5 लाख रुपये से अधिक की अनुमानित लागत के सभी विकास कार्य केवल ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से करवाए जाएंगे और ग्रामीण कार्य निगरानी प्रणाली विकसित की जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज बातैर वित्त मंत्री विधान सभा में 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा कि विकेन्द्रीकरण के लिए राज्य में ‘ग्राम दर्शन’ के नाम से एक अनूठी तकनीकी आधारित पहल की गई है। उन्होंने कहा कि विकेन्द्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत विभिन्न विभागों की और अधिक योजनाओं को पंचायती राज संस्थाओं को स्थानांतरित करने की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी पंचायती राज संस्थाओं के आगामी आम चुनावों में निर्वाचित प्रतिनिधियों में आधी महिलाएं होंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘लाल डोरा’ के भीतर रहने वाले निवासियों को टाइटल डीड प्रदान करने की एक योजना राज्य में सफलतापूर्वक शुरू की गई है। इस योजना के तहत लगभग 400 गाँवों को पहले ही कवर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पीआरआई को विभिन्न वित्तीय शक्तियां प्रदान करके उनके राजस्व के स्व-संसाधनों को बढ़ाया है। ग्रामीण क्षेत्र में संपत्ति के मूल्य के दो प्रतिशत के बराबर स्टाम्प शुल्क पर लगने वाले अधिभार से एकत्रित राजस्व का एक प्रतिशत जिला परिषद और पंचायत समिति को दिया जाएगा तथा शेष एक प्रतिशत ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा। इससे विकास कार्यों के लिए जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों को सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसी प्रकार, बिजली की खपत पर लगाए गए दो प्रतिशत पंचायत कर से भी ग्राम पंचायतों को लगभग 100 करोड़ रुपये वार्षिक मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि जिला परिषद के अध्यक्ष को डीआरडीए का चेयरमैन बनाया गया है। सुचारू संचालन के लिए एचसीएस कैडर के एक स्वतंत्र अधिकारी को जिला परिषद का सीईओ नियुक्त किया गया है। प्रशासकीय तंत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए चेयरमैन-डीआरडीए-सह-अध्यक्ष जिला परिषद को सीईओ जिला परिषद की एसीआर लिखने की शक्तियां दी गई हैं। इसके अलावा, पंचायती राज इंजीनियरिंग विंग को जिला परिषद के दायरे में लाया गया है ताकि विकास कार्यों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके। इसके अलावा, बस क्यू शेल्टर एवं आंगनवाड़ी केंद्रों का निर्माण, उप-स्वास्थ्य केद्रों का रखरखाव और प्राथमिक विद्यालयों की निगरानी करने जैसे अन्य विभागों के कुछ कार्य धनराशि सहित जिला परिषदों को सौंपे गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षित पंचायती राज संस्थाओं के बाद, हम पंचायती राज संस्थाओं को निधियां, कार्य एवं पदाधिकारी हस्तांतरित करके इनका सशक्तिकरण करने के लिए प्रयासरत हैं। सरकार ग्रामीण लोगों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित कर रही है। हम पीआरआई के सशक्तिकरण, स्वच्छता, खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्तर को बनाए रखने, ठोस कचरा प्रबंधन, ग्रामीण जीवन के मूल्य संवर्धन, ग्रामीण स्तर पर उद्यमिता को प्रोत्साहित करने, ग्रामीण अवसंरचना को सुधारने और शहरी स्थानीय निकायों को और अधिक जीवंत बनाने पर विशेष बल दे रहे हैं ताकि केवल समग्र विकास ही गारंटी न हो बल्कि उसे कायम भी रखा जा सके।
उन्होंने कहा कि हम पंचायती राज संस्थाओं को 10:15:75 के अनुपात में निधियां, कार्य एवं पदाधिकारी हस्तांतरित करके इनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। यह कदम उनके लिए संसाधनों की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, पंचायती राज संस्थाओं को बिजली बिलों पर 2 प्रतिशत उपकर लगाने जैसी कराधान की विभिन्न शक्तियां देकर उन्हें राजस्व के अपने स्रोतों को बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जा रही है।