चंडीगढ़, 12 मार्च- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बजट प्रस्तुत करते हुए कोविड-19 महामारी के दौरान हरियाणा सरकार द्वारा किए गए विशेष उपायों को सांझा किया और बताया कि जब मार्च, 2020 में हरियाणा में पहले मामले का पता चला तो कोविड-19 की पुष्टि के लिए राज्य में कहीं भी कोई जांच सुविधा नहीं थी। आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए सभी नमूने पुणे भेजे जाते थे। समय की आवश्यकता को समझते हुए राज्य सरकार ने जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आरटी-पीसीआर लैब स्थापित की।
सरकारी प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त निजी प्रयोगशालाओं को भी सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर परीक्षण के लिए अधिकृत किया गया। हमारे राज्य में कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन बैड, आईसीयू बैड और वेंटिलेटर की सुविधा से लैस पर्याप्त कोविड अस्पताल हैं। राज्य ने टेली-कॉलिंग के माध्यम से घरों में एकांतवास में रह रहे रोगियों की ट्रैकिंग प्रणाली को प्रभावी ढंग से विकसित किया।
उन्होंने बताया कि राज्य ने आपातकालीन उपयोग के लिए दो कोविड-19 टीकों-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और भारत बायो-टेक के कोवेक्सिन को अधिकृत किया है और 13 जनवरी, 2021 को प्रथम आपूर्ति में कोविशील्ड की 2,41,500 खुराकें और कोवेक्सिन कीे 20,000 खुराकें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के पास कोविड-19 वैक्सीन को स्टोर करने के लिए पर्याप्त कोल्ड चेन स्पेस उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए राज्य के विभिन्न उपायुक्तों को 9.10 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृृत की गई। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के लिए चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (43.59 करोड़ रुपये), शहरी स्थानीय निकाय (7.01 करोड़ रुपये), गृह (4.29 करोड़ रुपये) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (76.96 करोड़ रुपये) विभागों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में से 131.85 करोड़ रुपये की राशि भी उपलब्ध करवाई गई। यही नहीं कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकार द्वारा 17 लाख से अधिक परिवारों को ‘मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना’, बीपीएल परिवार, अन्य निर्माण श्रमिक, और गैर-संगठित क्षेत्र के श्रमिक को वित्तीय सहायता दी गई। इसके अलावा, ऑपरेशन ‘सम्वेदना’ के तहत 8.21 करोड़ रुपये के व्यय से 4.44 लाख प्रवासी श्रमिकों को 100 विशेष श्रमिक टे्रनों और 6629 बसों के माध्यम से उनके मूल राज्यों में भेजा गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने फ्रंट-लाइन कार्यकर्ताओं के रूप में पदनामित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ग्राम स्तर पर विभिन्न पहलें की हैं। सेनेटरी नैपकिन और डायपर्स सहित 10 लाख मास्क तैयार किये गये और सभी जिलों में प्रवासियों में मुफ्त वितरित किये गये। सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड-19 महामारी से बचाव के उपायों जैसे कि हाथ धोना, सेनिटाइजर का उपयोग, मुंह ढकना, स्वच्छता, मुंह-नाक आदि को न छूना की जानकारी भी प्रदान की गई। आवश्यक खाद्य पदार्थों जैसे कि फल, बिस्कुट, अनाज-गेहूं, चावल, सोयाबीन, बेसन, तेल, चीनी और मसाले सहित पका हुआ भोजन मुफ्त बांटा गया। कोविड-19 महामारी के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सभी लाभार्थियों को घर-द्वार पर ही सूखा राशन और सूखा दूध उपलब्ध करवाया गया।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बताया कि हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अंतर्गत ‘डिस्टे्रस राशन टोकन स्कीम’ लागू की। इसके तहत जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं था और जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार हैं, उन्हें प्रति परिवार पांच किलो गेहूं और एक किलो दाल बांटे गये।