चंडीगढ़ 12 नवंबर - हरियाणा के गुरुग्राम जिले में जल आपूर्ति में वृद्धि के लिए गुडगांव वाटर सप्लाई चैनल (जीडब्ल्यूएस) की क्षमता में वृद्धि की जाएगी। वर्तमान में चैनल के क्षमता 175 क्यूसेक है, जिसे वर्ष 2030 की जनसंख्या के अनुसार 1000 क्यूसेक बढ़ाया जाएगा। इसके लिए चैनल की मरम्मत और रिमॉडलिंग पर लगभग 1600 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के अध्यक्षता में शुक्रवार देर साए हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की बैठक में लिया गया।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि पानी के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए आगामी वर्षों में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित कॉलोनियों, एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित इंडस्ट्रीयल एस्टेट और निजी डेवलपर द्वारा विकसित कॉलोनियों में भी उपचारित अपशिष्ट जल नीति को पूरी तरह से लागू करना होगा। इस नीति के तहत, डबल पाईपलाइन साफ पानी के लिए अलग और उपचारित पानी के लिए अलग लाईन बिछाना और माइक्रो एसटीपी स्थापित करने पर जोर देना होगा। इसके साथ-साथ बारिश के पानी को एकत्र करने की प्रणाली को भी लागू करने पर बल देना होगा।
गंगा-यमुना लिंक नहर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा जाएगा पत्र
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि गंगा नदी के पानी को हरियाणा में लाने की दिशा में कदम उठाने चाहिएं। इसके लिए गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने के लिए जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा जाए। इस लिंक नहर के बनने से हरियाणा को पानी की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद महानगरीय प्राधिकरण के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि फरीदाबाद में भी पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रैनीवेल परियोजना के माध्यम से जल संचयन पर जोर दिया जाए। इसके अलावा, एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया जाए, जो यमुना में अंडरग्राउंड फ्लो से संबंधित अध्ययन करेगी। साथ ही यह भी आकलन करेगी कि दक्षिण हरियाणा में पानी की कितनी जरूरत है और वर्तमान में कितनी आपूर्ति हो रही है।
वर्ष 2030 की जनसंख्या के अनुसार 1000 क्यूसेक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास
बैठक में बताया गया कि गुडगांव वाटर सप्लाई चैनल की लंबाई 69 किलोमीटर है, जो काकरोई हेड से दिल्ली ब्रांच के आरडी नंबर-227800 से निकलती है और बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर खत्म होती है। इस चैनल का निर्माण वर्ष 1995 में किया गया था, जिसकी क्षमता 175 क्यूसेक थी। इस चैनल से बहादुरगढ़, गुरुग्राम और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, एचएसआईआईडीसी एवं वन विभाग के 28 वाटर वर्क्स की पानी की जरूरतें पूरी होती हैं। 27 सालों से लगातार पानी के प्रवाह के कारण चैनल की लाइनिंग खराब हो गई है। कुछ- कुछ जगह चैनल में दरारें भी आ चुकी हैं और गाद भरने की वजह से पानी की क्षमता में कमी आई है और इस चैनल की क्षमता 100 क्यूसिक तक पहुंच चुकी है, जिसे मरम्मत की सख्त आवश्यकता है।
बैठक में बताया गया कि विभिन्न विभागों द्वारा भी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस चैनल से पानी लिया जाता है। इससे यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि वर्ष 2040 तक गुरुग्राम शहर व कस्बों में पीने के पानी की आवश्यकता लगभग 475 क्यूसिक तक पहुंच जाएगी। इस मांग को पूरा करने और पानी की बर्बादी से बचाने के लिए क्यूसिक क्षमता बढ़ाने के साथ ही जीडब्ल्यूएस चैनल की रिमॉडलिंग का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। ख़ूबरू और काकरोई के बीच पानी की आपूर्ति सीएलसी द्वारा की जाती है, जिसकी क्षमता 750 क्यूसिक है। वर्तमान में 1050 क्यूसिक पानी दिल्ली को, 400 क्यूसिक पानी गुरुग्राम को दिया जा रहा है तथा शेष पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है। इन चैनलों की मरम्मत, रिमॉडलिंग होने से कुल क्षमता 2300 क्यूसिक हो जाएगी, जो वर्ष 2030 तक पानी की उपलब्धरता को पूरा कर सकेगी।
वर्ष 2050 तक गुरुग्राम में पड़ेगी 1504 क्यूसिक पानी की आवश्यकता
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2030 तक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, एचएसआईआईडीसी, वन विभाग इत्यादि की पानी की जरूरतों के हिसाब से 1068 क्यूसिक की आवश्कता पड़ेगी। इसी प्रकार, वर्ष 2040 तक 1269 क्यूसिक तथा वर्ष 2050 तक 1504 क्यूसिक पानी की आवश्यकता होगी। इसके लिए दिल्ली ब्रांच की भी पुनः डिजाइन और रिमॉडलिंग की आवश्यकता पड़ेगी।
पानी की आपूर्ति के संबंध में बैठक में बताया गया कि यमुना नदी पर रेणूका, किशाऊ और लखवाड़ बांध बनाये जाने प्रस्तावित हैं, जिनका कार्य 2031 तक पूरा होना संभावित है। इन बांधों के बनने से हरियाणा को अपने हिस्से का 1150 क्यूसिक पानी मिलेगा।
बैठक में सिंचाई मामलों से संबंधित मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री देवेंद्र सिंह, इंजीनियर इन चीफ डॉ सतबीर कादियान सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।