चंडीगढ़, 5 अप्रैल - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आज यहां अधिनियम 1975 की धारा 8 के तहत कम घनत्व वाली पर्यावरण के अनुकूल कॉलोनियों को योजना अनुसार विकसित करने व लाइसेंस प्रदान करने के लिए नीति में संशोधन करने की स्वीकृति प्रदान की है।
हितधारकों की रुचि बढ़ाने के मद्देनजर इस नीति के मानदंडों, पैरामीटरों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता हुई। विभिन्न स्तरों पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद स्थान पैरामीटर, क्षेत्र और दृष्टिकोण मापदंड, फीस और शुल्क आदि विभिन्न संशोधनों को संशोधित किया जाना प्रस्तावित है।
इन कालोनियों में व्यक्तिगत इकाई की आवश्यकताओं के लिए एकीकृत युनिट सौर ऊर्जा संयंत्रों का प्रावधान, भंडारण, शुद्धिकरण और वर्षा जल के पानी की आपूर्ति का कोई बाहरी स्रोत न होने पर न्यूनतम भूजल निकासी को बंद करने खेती, फ्लशिंग और घरेलू पानी की आवश्यकताओं को अलग से पूरा करने के लिए रिसाईकलिंग व सीवेज उपचार संयंत्र, स्वतंत्र वितरण प्रणाली सुविधाओं का उद्देश्य संशोधनों की प्रमुख विशेषताओं में शामिल करना है। कालोनी स्तर पर सभी बायोडिग्रेडेबल कचरे के उपयोग एवं पुनर्चक्रण के लिए कंपोस्ट प्लांट की स्थापना करना भी शामिल है।
इन कॉलोनियों की स्थापना के लिए हाइपर और हाई पोटेंशियल जोन में 25 एकड़, मध्यम जोन में 15 एकड़ और कम क्षमता वाले जोन में 10 एकड़ न्यूनतम भूमि की आवश्यकता होगी। कॉलोनी में कोई भी अन्दर की सडक़ 9 मीटर से कम चैड़ाई की नहीं होगी।
ऐसी कॉलोनी में कम से कम 1 एकड़ से 2.5 एकड़ तक एक प्लाट की ही अनुमति होगी। इनमें लोगों तक आसान पहुंच के लिए कम से कम 12 मीटर चैड़े रास्ते/ सडक़ सुलभ होना चाहिए।
शहरी सीमा से 500 मीटर के भीतर आने वाली कॉलोनियों में आवासीय प्लाटों पर आवेदक से कोई ईडीसी नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा भूमि पर आवासीय कालोनियों में 50 प्रतिशत ईडीसी वसूल किया जाएगा।
यह भी निर्णय लिया गया कि एक क्लब हाउस जो दो एकड़ से अधिक क्षेत्र का नहीं होगा, जिसमें एक वाणिज्कि स्थल भी उपलब्ध करवाया जाएगा जो एक हजार वर्ग फुट से अधिक का नहीं होगा।