चंडीगढ़, 6 अप्रैल- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने 26 अक्टूबर, 2014 को सत्ता संभालते ही प्रदेश की राजनीति की दशा व दिशा बदलने की पहल की। लोगों की शिकायतों व उनकी समस्याओं के निदान के लिए अनेक नए प्रकल्पों को लागू किया। किसी भी आम नागरिक को चंडीगढ़ न आना पड़े इसके लिए सीएम विंडो शुरू किया। 25 दिसंबर, 2014 को सुशासन दिवस के अवसर पर आरंभ की गई सीएम विंडो व्यवस्था लोगों को खूब रास आई। पिछले 8 वर्षों से अधिक की अवधि में अब तक 10 लाख 92 हजार 366 लोगों ने सीएम विंडो पर अपनी शिकायत भेजी जिनमें से 10 लाख 9 हजार 591 शिकायतों का समाधान किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सत्ता की अपनी दूसरी पारी में लोगों के बीच सरकार आपके द्वार की अवधारणा पर चलते हुए जनसंवाद कार्यक्रम की शुरुआत की और पंचायती तौर पर जनता के बीच बैठकर शिकायतें सुनी। मुख्यमंत्री की इस सादगी ने लोगों को न केवल भाव विभोर किया बल्कि कंठ मुक्त रूप से लोगों ने मुख्यमंत्री के इस प्रयास की सराहना की।
रोहतक जिले से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरुआत करने के बाद मुख्यमंत्री ने सिरसा, सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र व फतेहाबाद जिलों में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त, पुलिस महानिदेशक तथा उपायुक्त स्तर के अधिकारियों के साथ घंटों बैठकर लोगों की समस्याएं सुनी और लोगों में भी काफी उत्साह देखने को मिला। इन जिलों के दूरदराज के गाँवों के लोगों के अलावा दूसरे जिलों के लोग भी मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम में पहुंचे।
नवनिर्वाचित छोटी पंचायतों से रूबरू होने की मुख्यमंत्री ने की पहल
जो ठान लेते हैं उसे मूर्तरूप देते है मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने विपक्षी पार्टियों को खुली चुनौती दी है कि जो एक बार ठान लेते हैं वो करके ही दिखाते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कितना ही विरोध क्यों न झेलना पड़े। विधानसभा सदन से लेकर अनेक मंचों से मुख्यमंत्री ने दूसरी पार्टी के नेताओं को बहस करने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने अपने पिछले कार्यकाल में सिद्ध भी कर दिया कि जब वे एक बार ठान लेते हैं उसे पूरा कर खरा उतरते हैं। इसका उदाहरण यह है कि जब उन्होंने प्रदेश में पढ़ी लिखी पंचायतें देने की बात कही तो कुछ नेताओं ने लोगों को बहकाकर न्यायालय में मामले को पहुंचवा दिया। परंतु मुख्यमंत्री इस जिद पर अड़े रहे कि छोटी पंचायतों को पढ़ी-लिखी पंचायतें बनाना ही उनकी राजनीति का उद्देश्य है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई लड़ी और उस समय मुख्यमंत्री की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार के फैसले को सही ठहराया और अपने फैसले में टिप्पणी दी कि अन्य राज्यों को भी हरियाणा का अनुसरण करना चाहिए। मुख्यमंत्री की इस पहल का नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2016 में पंचायती राज संस्थानों में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद 42 प्रतिशत महिलायें चुनकर आईं क्योंकि वे पढ़ी-लिखी होने की शर्त पूरी करती थीं। राजनीति में महिलाओं की दिलचस्पी लेने की इस पहल का असर मुख्यमंत्री को प्रभावित कर गया और उन्होंने एक बार फिर मन में ठाना कि महिलाओं की समाज में पुरुषों के बराबर भागीदारी है, क्यों न उन्हें छोटी पंचायतों में भी पुरुषों के बराबर प्रतिनिधित्व दिया जाए। इसलिए मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बिल लाकर महिलाओं को यह हक दिया और नवंबर, 2022 में हुए पंचायती राज संस्थानों के चुनाव में चुनी गई छोटी पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत रही।
मुख्यमंत्री ने इन नवनिर्वाचित छोटी पंचायतों से रूबरू होने की नई पहल करते हुए अपने जनसंवाद कार्यक्रम का रूख गांव की ओर करने का निर्णय लिया और इस कड़ी में उन्होंने 2 से 4 अप्रैल तक तीन दिन भिवानी जिले के 12 से अधिक ऐसे बड़े गांवों का दौरा किया जिनमें चार-चार सरपंच हैं। अपने जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ठेठ हरियाणवी शैली में पंच परमेश्वर की तरह छोटी पंचायतों के बीच बैठकर गांव के भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। अनेक बार महिला सरपंच की जगह सरपंच प्रतिनिधि को बैठे पाया तो मुख्यमंत्री ने तत्काल कहा कि जो सरपंच है वही कार्यक्रम में उपस्थित हो। मुख्यमंत्री की इस पहल से महिला सरपंचों को भी एहसास हुआ कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि की कितनी अहमियत है कि प्रदेश के मुखिया खुद उनके बीच चर्चा के लिए आये क्योंकि उनमें से अधिकाँश महिलायें पहली बार सरपंच चुनकर आईं हैं। छोटी पंचायतों से रूबरू होने की मुख्यमंत्री की यह पहल ग्रामीणों में चर्चा का विषय बनी। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने अपना दूसरा जनसंवाद कार्यक्रम पलवल जिले में 12-14 अप्रैल, 2023 को निर्धारित किया है। उसके बाद पानीपत, करनाल व हिसार जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंवाद करेंगे और धीरे-धीरे सभी 22 जिले तय कर पूरे हरियाणा को कवर करेंगे। अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ई-टेंडरिंग के बारे में भी लोगों से पूछते हैं कि क्या यह व्यवस्था सही है? लोग हाँ में हाँ मिलकर व दोनों हाथ खड़े कर मुख्यमंत्री का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि आईटी के आज के युग में ई-प्रणाली पर चलना समय की जरूरत है। मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला कि छोटी पंचायतों का हर कोई चुना हुआ जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री के साथ मुड्ढे व खाट पर बैठने को लालायित है।