चंडीगढ़, 30 जून – ऋषि मुनियों की तपोभूमि, कर्म और आस्था का परिचायक हरियाणा नशा मुक्त महासंग्राम का आगाज करने के बाद अब जल संरक्षण की दिशा में भी मिसाल बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के निःस्वार्थ भाव से समाज की भलाई के लिए किए जा रहे कार्यों में संत-महात्मा भी उनका सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं। नशा मुक्त हरियाणा अभियान को आगे बढ़ाने में सहयोग करने के बाद अब संत-महात्मा जल संरक्षण के लिए भी समाज में अलख जगाएंगे। संत महात्मा अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल भावी पीढ़ी का भविष्य हर दृष्टिकोण से सुरक्षित हो, इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मेरा पानी – मेरी विरासत के बाद हरियाणा सरकार ने जल संरक्षण व जल संचयन के लिए एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य आगामी 2 वर्षों में पानी की मांग व उपलब्धता के अंतर को कम करना है।
हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए कृषि क्षेत्र में पानी की मांग अधिक होना स्वाभाविक है। वर्ष 2021 में 152 लाख एकड़ फसली क्षेत्र (क्रॉप्ड एरिया) हेतु पानी की मांग 30,05,514 करोड़ लीटर थी, जोकि वर्ष 2025 तक 30,34,554 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। बागवानी क्षेत्र के लिए वर्ष 2021 में पानी की मांग 1,64,838 करोड़ लीटर थी, जोकि वर्ष 2025 तक 2,12,131 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। इसी प्रकार, उद्योग एवं ढांचागत विकास क्षेत्र में वर्ष 2021 में पानी की मांग 1,04,418 करोड़ लीटर थी और वर्ष 2025 तक इस क्षेत्र के तहत 1,46,518 करोड़ लीटर पानी की मांग होने का अनुमान है।
बिजली उत्पादन में भी पानी की मांग होती है। इसके तहत वर्ष 2021 में 19,127 करोड़ लीटर पानी की मांग दर्ज की गई थी, जो वर्ष 2025 तक 22,107 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। इसके अलावा, वर्ष 2025 तक मत्स्य पालन, वन एवं वन्यजीव, स्थापना एवं संस्थागत जल क्षेत्र तथा घरेलू पानी की मांग के तहत क्रमशः 32,251 करोड़ लीटर, 12,161 करोड़ लीटर, 14903 करोड़ लीटर और 1,35,625 करोड़ लीटर पानी की मांग आंकी गई है।
हरियाणा में वर्तमान में पानी की उपलब्धता 30,57,298 करोड़ लीटर है, जबकि मांग 44,59,976 करोड़ लीटर है। पानी की मांग व उपलब्धता के मध्य 14 लाख करोड़ लीटर के अंतर को पाटने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर 2023-25 की जल कार्य योजना बनाई गई है। यह कार्य योजना तैयार करने से पहले मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा गांव स्तर पर भूमिगत जल की उपलब्धता का अध्ययन कर जिलावार रिपोर्ट तैयार की और हरियाणा शायद देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने गांव स्तर पर जल प्रबंधन की योजनाएं बनाई हैं।
1,77,323 एकड़ जलभराव वाले क्षेत्र को सुधारा जाएगा
हरियाणा के मध्य जिले नामतः रोहतक, झज्जर तथा भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, जींद, फतेहाबाद सिरसा, नूहं व पलवल जिले के कुछ भाग जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं। इस समस्या का मुख्य कारण इनकी भौगोलिक स्थिति और खुली सिंचाई है। वर्टिकल ड्रेनेज, हॉरिजोंटल ड्रेनेज, बायो ड्रेनेज और जिप्सम अनुप्रयोग तकनीकों के माध्यम से जलभराव की समस्या का समाधान किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना-2023-25 के तहत 1,77,323 एकड़ जलभराव वाली भूमि के सुधार का लक्ष्य रखा है। इस भूमि में से 5000 एकड़ को एक्वाकल्चर के तहत लाया जाएगा।
पानी के उचित प्रबंधन के लिए सरकार दे रही थ्री-आर पर जोर
मुख्यमंत्री का मानना है कि जब हम जल प्रबंधन और संरक्षण की ओर बढ़ते हैं तो थ्री-आर अर्थात रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर हमें फोकस करना होगा। पानी के पुन: उपयोग से ही फ्रेश वॉटर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, पानी बचाने के लिए प्रदेश सरकार सूक्ष्म सिंचाई व भूमिगत पाइपलाइन से भी खेतों में सिंचाई करने की योजनाएं चला रही है।
वर्ष 2024 में धान की बिजाई के तहत 2 लाख एकड़ का लक्ष्य निर्धारित
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के रूप में धान बाहुल्य जिलों के किसानों के लिए एक अनूठी योजना लेकर आए। इस योजना के तहत धान के स्थान पर मक्का, बाजरा और ज्वार जैसी फसलों का विकल्प चुनने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि तथा जीरो टीलेज मशीन से धान की सीधी बिजाई करने पर 4 हजार रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया। मुख्यमंत्री का यह निर्णय काफी सकारात्मक परिणाम लेकर आया। मुख्यमंत्री ने स्वयं धान बाहुल्य जिलों के किसानों से पानी बचाने के लिए धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुआई करने के लिए किसान संवाद कार्यक्रम आरंभ किये थे। इसके फलस्वरूप किसानों ने खरीफ-2022 के दौरान 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बिजाई कर 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। सरकार ने ऐसे किसानों को 29.16 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी। किसानों के इस रुझान को देखते हुए मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023 -24 के दौरान 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान की सीधी बिजाई के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री के इन प्रयासों और संत समाज के योगदान से आगामी समय में हरियाणा में न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर बदलाव नजर आएंगे बल्कि नशा व जल संरक्षण जैसे गंभीर विषयों पर भी लोगों का सकारात्मक रूझान देखने को मिलेगा।